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आंवला नवमी: महिलाओं द्वारा आंवले की पूजा 

आंवला नवमी: महिलाओं द्वारा आंवले की पूजा 

आंवला नवमी: महिलाओं द्वारा आंवले की पूजा

आंवला नवमी का महत्व

गाडरवारा। आवला नवमी के पावन पर्व पर महिलाओं ने आंवला नवमी पर व्रत रखकर आवले की विधि विधान से पूजन की और वही आवले के नजदीक बैठकर भोजन किया और भगवान से प्रार्थना की की सभी खुश रहें और पौधे लगाते रहे आंवला नवमी पर आवले का पोधा भी लगाया ।

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आंवला नवमी एक ऐसा पावन पर्व है जिसमें विशेषकर महिलाएँ आंवले की पूजा करती हैं। इस दिन आंवला के लिए व्रत रखा जाता है और इसका विधि विधान से पूजन करने का प्रचलन है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करता है, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी जागरूकता फैलाता है।

महिलाओं की पूजा विधि

आंवला नवमी पर महिलाएँ विशेष पूजा करती हैं। वे पहले आंवले को अच्छे से धोकर उसकी ताजा पत्तियाँ और फल लेकर आती हैं। इसके बाद, पूजन का पूरा विधि-विधान अपनाते हुए, भगवान से प्रार्थना करती हैं कि सभी परिवार के सदस्य सुखी रहें। पूजा के दौरान महिलाएँ कभी-कभी आंवले के निचले भाग में बैठकर भोजन भी करती हैं, जिससे उनकी आस्था और भावनाएँ और भी प्रगाढ़ होती हैं।

आंवला का पौधा लगाना

इस विशेष अवसर पर महिलाएँ केवल पूजा नहीं करतीं, बल्कि आंवला नवमी के दिन आंवले का पौधा भी लगाती हैं। पौधे लगाना एक महत्वपूर्ण क्रिया है जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है। इस प्रकार, आंवला नवमी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमें अपने चारों ओर हरियाली बढ़ाने की प्रेरणा भी देती है।

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