गाडरवारा। मकर संक्रांति के पूर्व बच्चों एवं युवाओं में पतंग के प्रति रुझान बढ़ने लगा है। नगर की पतंग दुकानों पर भांति भांति की पतंगें और चरखी सहित मांझा बिकने लगा है। बदलते दौर मंे जहाँ सब कुछ डिजिटल और वर्चुअल होने लगा है। वहीं भारत के प्राचीन पतंगबाजी का जज्बा अब भी बरकरार है। लोग चाव से पतंग, चरखी, डोरी खरीद कर शौक पूरा करते हैं। स्थानीय पतंग विक्रेता ने बताया कि नगर मंे चाइनीज मांझा प्रचलन में नहीं है। यहा प्लास्टिक और धागे का मांझा बिकता है। उनके पास पांच रूपए से 100 रूपए तक की पतंगंे उपलब्ध हैं। मांझा चरखी 20 से 500 रूपए तक एवं केवल मांझा 20 से 50 रूपए मंे मिल जाता है। इस व्यवसाय में पिछले पांच साल से कोई मूल्य वृद्धि नहीं हुई। आज महंगाई के दौर में भी सबसे सस्ता शौक पतंगबाजी का है। बहरहाल नगर के आसमान पर भांति भांति की पतंगंे उड़ती दिखने लगी है अब 14 जनवरी मकर संक्रन्ति पर बड़ी संख्या मे लोग, युवा, बच्चे पतंग उड़ाएंगे, जिसमें पेंच लड़ाने और सामने वाले की पतंग काटने के हुनर देखे जाएंगे।
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