80 करोड़ की संपत्ति के मालिक साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का वृद्धाश्रम में निधन: अपनों ने छोड़ा अकेला, गैरों ने दी मुखाग्नि
80 करोड़ की संपत्ति के मालिक साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का वृद्धाश्रम में निधन: अपनों ने छोड़ा अकेला, गैरों ने दी मुखाग्नि
वाराणसी। प्रसिद्ध साहित्यकार और 400 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले श्रीनाथ खंडेलवाल, जिनके नाम पर करोड़ों की संपत्ति है, ने वृद्धाश्रम में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। दुखद बात यह रही कि उनके परिवार का कोई सदस्य उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ। उनकी अंतिम यात्रा की जिम्मेदारी अमन यादव उर्फ अमन कबीर ने निभाई, जिन्होंने उन्हें मुखाग्नि दी।
परिवार ने किया किनारा
खंडेलवाल जी के बेटे बड़े उद्योगपति और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। बावजूद इसके, उन्होंने अपने पिता को वृद्धाश्रम में अकेला छोड़ दिया। अमन ने बताया कि जब उनके निधन की सूचना परिवार को दी गई, तो किसी ने जवाब तक नहीं दिया।
अमन ने भावुक होकर कहा, “जब मैंने उन्हें मुखाग्नि दी, तो ऐसा लगा जैसे मैं अपने पिता को विदा कर रहा हूं।”
400 से अधिक पुस्तकें और अद्वितीय साहित्यिक योगदान
श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपने जीवन में गीता, पुराण, और अन्य ग्रंथों पर अनूठा कार्य किया। उनकी पुस्तक “गीता तत्व बोधिनी” में कृष्ण और अर्जुन संवाद पर गहन शोध किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने मत्स्य पुराण, शिव पुराण, और नरसिंह पुराण का हिंदी, संस्कृत, असमी, और बांग्ला में अनुवाद किया।
अंतिम समय में संघर्षपूर्ण जीवन
मार्च 2024 में खंडेलवाल जी को वाराणसी के काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया था। केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। 28 दिसंबर की सुबह उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
अंतिम संस्कार से पहले अमन ने उनकी बेटी को 9 बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अंततः अमन ने सराय मोहना घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया।
वाराणसी का साहित्य जगत मौन
जिस बनारस को साहित्य का गढ़ माना जाता है, वहां के साहित्यिक संगठनों ने इस महान साहित्यकार के निधन पर कोई श्रद्धांजलि तक नहीं दी।
श्रद्धांजलि:
श्रीनाथ खंडेलवाल जी, आपके योगदान को समाज कभी भुला नहीं पाएगा।