मध्यप्रदेश भाजपा जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में बड़ा बदलाव, नए चेहरों और युवा नेतृत्व को मिलेगी प्राथमिकता
मध्यप्रदेश भाजपा जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में बड़ा बदलाव, नए चेहरों और युवा नेतृत्व को मिलेगी प्राथमिकता

भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब संगठन में पुराने और लंबे समय से कार्यरत चेहरों की जगह नए और युवा नेतृत्व को अवसर दिया जाएगा। यह निर्णय दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया।
इस बैठक में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर गहन मंथन किया। बैठक में यह भी तय हुआ कि पार्टी अब जिलाध्यक्षों की घोषणा प्रदेश कार्यालय से न करके जिलों में नियुक्त निर्वाचन अधिकारी और पर्यवेक्षक के माध्यम से करेगी।
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में क्या हुए बदलाव?
1. चार साल से अधिक कार्यकाल वाले नहीं होंगे रिपीट:
पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन जिलाध्यक्षों ने चार साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर लिया है, उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। यह निर्णय संगठन में नए और युवा नेतृत्व को शामिल करने के लिए लिया गया है।
2. महिला, आदिवासी और दलित वर्ग को मिलेगा नेतृत्व का मौका:
भाजपा ने निर्णय लिया है कि कुल 8 महिला जिलाध्यक्ष नियुक्त की जाएंगी। इसके साथ ही आदिवासी और दलित वर्ग से 5-5 जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे। यह कदम पार्टी के सामाजिक संतुलन को मजबूत करने और विविध वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से लिया गया है।
3. प्रमुख जिलों में नए चेहरे:
- ग्वालियर: मौजूदा जिलाध्यक्ष अभय चौधरी के स्थान पर जयप्रकाश राजौरिया, आशीष अग्रवाल या हरीश मेवाफरोश में से किसी एक को नियुक्त किया जा सकता है।
- भोपाल: पार्षद रवींद्र यती के नाम पर चर्चा हो रही है।
- सागर और धार: इन जिलों में पुनर्गठन करते हुए दो-दो जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे।
4. जिलों का पुनर्गठन और संख्या में वृद्धि:
- सागर जिले को तीन भागों (देवरी, रहली, बंडा) में विभाजित कर नया जिला बनाए जाने का प्रस्ताव है।
- धार जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को अलग कर दो जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जा सकते हैं।
- इन बदलावों के बाद प्रदेश में जिलाध्यक्षों की संख्या 60 से बढ़कर 62 हो सकती है।
नई रणनीति का उद्देश्य:
भाजपा का यह कदम आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठन को मजबूत और सक्रिय बनाने की दिशा में उठाया गया है। पार्टी का मानना है कि युवा नेतृत्व और नए चेहरों को आगे बढ़ाने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा और संगठन की ऊर्जा में नयापन आएगा।
पुराने चेहरों की विदाई:
पार्टी के इस निर्णय के बाद 18 जिलों में मौजूदा जिलाध्यक्षों को रिपीट किए जाने की संभावना लगभग समाप्त हो गई है। यह स्पष्ट है कि भाजपा अब नए चेहरों के साथ संगठन में बदलाव लाना चाहती है।
घोषणा प्रक्रिया में बदलाव:
पहले जिलाध्यक्षों के नाम प्रदेश कार्यालय से घोषित किए जाते थे, लेकिन इस बार पार्टी ने नई प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया है। अब जिलाध्यक्षों की औपचारिक घोषणा जिलों में नियुक्त पर्यवेक्षक और निर्वाचन अधिकारी करेंगे।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह कदम संगठन में बदलाव और चुनावी तैयारियों को मजबूत करने के दृष्टिकोण से लिया गया है। महिला, दलित और आदिवासी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने से पार्टी को आगामी चुनावों में सामाजिक संतुलन साधने में मदद मिलेगी।
संभावित नियुक्तियां:
- ग्वालियर: जयप्रकाश राजौरिया, आशीष अग्रवाल, हरीश मेवाफरोश
- भोपाल: रवींद्र यती
- सागर: तीन भागों में नए जिलाध्यक्ष
- धार: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग जिलाध्यक्ष
भाजपा का यह कदम संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेगा। पार्टी के इस निर्णय से न केवल नए चेहरों को मौका मिलेगा, बल्कि आगामी चुनावों में भाजपा को मजबूती भी मिलेगी।