डॉ सुशील शर्मा
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देश
गुरु दक्षिणा का नया संस्करण – व्हाट्सएप वाला प्रणाम! वर्तमान विद्यार्थी शिक्षक संबंधों पर एक तीखा व्यंग्य लेख -सुशील शर्मा
गुरु-शिष्य परंपरा कभी वह दीप थी, जिससे ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित होती थी। अब वह दीपक मोबाइल की बैटरी इंडिकेटर…
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देश
यह कैसा उन्माद है! पहलगाम की घटना पर संवेदनाएं
शांत नीले आकाश तले, हरी-भरी वादी में पसरी थी शांति। अचानक घुली बारूद की गंध, चीत्कारें चीर गईं उस चुप्पी…
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टॉप न्यूज़
“और फिर चुप्पी चीख़ उठी” अतुकान्त कविता –सुशील शर्मा
पहलगाम की वादियों में जहाँ बर्फ़ की चादरें धरती को शांति की परिभाषा देती थीं, वहाँ आज ख़ून की बूंदें…
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देश
मैं वो नहीं, मेरी भूमिका – नारी दिवस पर दो कविताएं
नारी दिवस पर दो कविताएं 1 मेरी भूमिका सुशील शर्मा सृष्टि के प्रथम सोपान से आज के अविरल विकास महान…
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समावेशी भाषा के रूप में हिन्दी: हिन्दी दिवस पर आलेख “सुशील शर्मा”
हिन्दी दिवस पर आलेख “सुशील शर्मा” भाषा एक सामाजिक क्रिया है, किसी व्यक्ति की कृति नहीं। समाज में यह विचार-विनिमय…
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