सोहागपुर में पंचायत सचिवों की मनमानी, दो सचिवों व रोजगार सहायक को जनपद कार्यालय में अटैच

राकेश पटेल इक्का सोहागपुर
सोहागपुर (नर्मदापुरम): जनपद पंचायत सोहागपुर में पंचायत सचिवों की मनमानी और अनियमितताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। पंचायतों में कार्यों के बदले कमीशनखोरी की चर्चाएं भी तेज हो रही हैं, जिससे अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दो सचिवों की जनपद कार्यालय में अटैचमेंट, लेकिन कार्य नहीं
जनपद पंचायत प्रशासन ने सचिव लखनलाल प्रजापति और चैन सिंह मांझी को जनपद पंचायत कार्यालय में अटैच किया है। लेकिन ये दोनों न तो कार्यालय में उपस्थित रहते हैं और न ही कोई कार्य करते नजर आते हैं। सचिव लखनलाल प्रजापति को अक्सर बाजारों में घूमते देखा गया है, जिससे उनकी कार्यशैली पर संदेह बना हुआ है।
पंचायत सचिवों को दोहरा प्रभार, ग्रामीण परेशान
जनपद क्षेत्र की कई पंचायतों में एक ही सचिव को दो-दो पंचायतों का प्रभार सौंपा गया है, जिससे कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
- रानी पिपरिया और मोकलवाड़ी पंचायत में सचिव अरविंद ठाकुर लंबे समय से कार्यरत हैं।
- टेकापार और बिछुआ पंचायत का प्रभार मनसुख धानक को दिया गया है।
- शोभापुर और अकोला पंचायत में सचिव राजेंद्र पुरविया को नियुक्त किया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि सचिवों के पास दो-दो पंचायतों का कार्यभार होने से विकास कार्य धीमा पड़ गया है और सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।
रोजगार सहायक को भी अटैच किया गया
मनरेगा योजना के तहत कार्यरत रोजगार सहायक योगेश पुरी गोस्वामी को भी जनपद कार्यालय में अटैच कर दिया गया है। जबकि बिना अनुमति रोजगार सहायकों को अटैच नहीं किया जा सकता। इससे मनरेगा योजना के तहत होने वाले कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
लापरवाह सचिवों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं
पंचायत प्रशासन लापरवाह सचिवों पर कोई कठोर कदम उठाने के बजाय उन्हें केवल अटैच कर रहा है। सीईओ संजय अग्रवाल पर सचिवों को संरक्षण देने के आरोप भी लग रहे हैं। विधायक विजयपाल सिंह के एक कार्यक्रम में अनुपस्थित रहने की शिकायतों के बावजूद लखनलाल प्रजापति पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।
इनका कहना है
सूरज सिंह रावत, सीईओ जिला पंचायत नर्मदापुरम ने कहा कि “दंड स्वरूप किसी सचिव या अन्य कर्मचारी को अटैच किया गया होगा। जनपद पंचायत के प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सीईओ जनपद की है।”
ग्रामीणों की मांग: जल्द हो स्थायी नियुक्ति
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो सालों से पंचायत सचिवों की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र ही ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।