Shri Hanuman Janmotsav 2025: पंचग्रही योग में हुआ हनुमान जी का प्रकटोत्सव, जानें खास संयोग और उपाय

12 अप्रैल 2025 | शनिवार | चैत्र पूर्णिमा
बजरंग बली के भक्तों के लिए आज का दिन अत्यंत पुण्यदायी और दिव्य है। आज पूरे भारत में श्री हनुमान जन्मोत्सव (Shri Hanuman Janmotsav 2025) श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस बार का उत्सव विशेष इसलिए भी है क्योंकि 57 वर्षों बाद एक अद्भुत पंचग्रही योग बना है, जो भक्तों के लिए शुभ फलों का संकेतक है।
पंचग्रही योग से बना दिव्य संयोग
इस बार के जन्मोत्सव पर सूर्य, शनि, शुक्र, बुध और राहु मीन राशि में एकत्र होकर पंचग्रही योग बना रहे हैं। साथ ही शुक्र-बुध की युति से लक्ष्मी-नारायण योग बन रहा है, जो धन, सुख और सिद्धियों की प्राप्ति में सहायक माना जाता है। यह संयोग भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नए अवसर लेकर आएगा।
हनुमान जन्मोत्सव का महत्व
श्रीराम भक्त, संकटमोचक, अष्टसिद्धि नव निधि के दाता श्री हनुमान जी महाराज का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को माना जाता है। मान्यता है कि वे आज भी जीवित हैं और धर्म की रक्षा हेतु धरती पर विचरण कर रहे हैं। इसलिए यह उत्सव “प्रकटोत्सव” कहलाता है, न कि “जयंती”, क्योंकि हनुमान जी को कलियुग के अमर देवता कहा गया है।
पूजा के शुभ मुहूर्त
- प्रथम पूजन मुहूर्त: सुबह 7:34 से 9:12 तक
- द्वितीय पूजन मुहूर्त: शाम 6:46 से रात 8:08 तक
- पूर्णिमा तिथि: 12 अप्रैल, 03:21 AM से 13 अप्रैल, 5:51 AM तक
श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये 5 शुभ उपाय
- सिंदूर अर्पण करें – श्री हनुमान को सिंदूर अत्यंत प्रिय है। यह उन्हें शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानकर अर्पित किया जाता है।
- लाल वस्त्र या चोला चढ़ाएं – हनुमान जी को लाल रंग प्रिय है। जन्मोत्सव के दिन उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करें।
- गेंदे के फूल की माला अर्पित करें – पूजा में गेंदे के फूलों का विशेष महत्व होता है। इसे अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है।
- बेसन के लड्डू का भोग लगाएं – यह उनका प्रिय भोग है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
- हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें – संकटों का नाश और आत्मबल में वृद्धि होती है।
हनुमान प्रकटोत्सव पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- चरणामृत का प्रयोग न करें
- ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें
- खंडित मूर्तियों की पूजा न करें
- काले कपड़ों का त्याग करें, लाल या पीले वस्त्र पहनें
- दिन में न सोएं – व्रतधारियों के लिए वर्जित
- दान की वस्तुओं का उपयोग न करें उसी दिन
प्रकटोत्सव बनाम जयंती: क्या है सही शब्दावली?
‘जयंती’ शब्द उन लोगों के लिए प्रयुक्त होता है जो अब जीवित नहीं हैं, जबकि ‘जन्मोत्सव’ उन अमर आत्माओं के लिए होता है जो आज भी इस धरती पर हैं। श्री हनुमान जी के बारे में शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि वे अमर हैं, इसलिए इसे हनुमान जयंती नहीं, हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव कहा जाता है।
आज के इस पावन दिन पर प्रभु श्री हनुमान आप सभी की रक्षा करें, आपके जीवन में बल, बुद्धि और विद्या का संचार करें।
“जय श्री राम! जय बजरंगबली!”