मध्य प्रदेशराज्य

शिव महापुराण कथा में हुआ भगवान शिव के पंच मुखों का दिव्य वर्णन

संवाददाता सम्राट अंकित कुशवाहा

मंडीदीप। वार्ड क्रमांक 1, महावीर नगर फेज-1 में आयोजित संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन राष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य पंडित श्री नरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान शिव के पंच मुखों की महिमा का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने भगवान ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता के विवाद का प्रसंग सुनाया, जो शिव महापुराण में वर्णित है।

शिवलिंग प्रकट होने की कथा

आचार्य श्री ने बताया कि एक बार भगवान ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तब भगवान शिव ने अपने शिवलिंग स्वरूप में प्रकट होकर उन्हें अपने अनंत स्वरूप का दर्शन कराया। इस शिवलिंग का न तो कोई आदि था और न ही कोई अंत
भगवान ब्रह्मा जी ने झूठ बोला कि उन्होंने शिवलिंग का अंत पा लिया है। इस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर भैरव से ब्रह्मा जी का एक शिर कटवा दिया। तभी से संसार में शिवलिंग पूजन की परंपरा शुरू हुई

भगवान शिव के पंच मुखों की महिमा

भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को उपदेश देते हुए अपने पंच मुखों का रहस्य बताया—

  1. पहले मुख से सृष्टि की रचना करता हूं।
  2. दूसरे मुख से इसे स्थिर रखता हूं।
  3. तीसरे मुख से इसे परिवर्तित करता हूं।
  4. चौथे मुख से संहार करता हूं।
  5. पांचवें मुख से कृपा करता हूं।

नारद मोह की कथा सुनाई

कथा में आगे आचार्य श्री ने नारद मोह की कथा का रोचक प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु को बुरा-भला कहा। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें भगवान शिव के 108 नामों का जाप करने का सुझाव दिया
इसके बाद नारद जी ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और भगवान शिव के बारे में पूछा। तब ब्रह्मा जी ने नारद जी को शिव महापुराण की कथा सुनाई

श्रद्धालु भाव-विभोर हुए

कथा के इस अद्भुत प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु भक्त भाव-विभोर हो गए और “हर-हर महादेव” के जयकारों से माहौल गूंज उठा। आयोजकों ने बताया कि शिव महापुराण कथा पूरे सप्ताह चलेगी और प्रतिदिन भव्य आयोजन किया जाएगा

 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!