संबोधि दिवस पर तीन दिवसीय ओशो ध्यान शिविर का आयोजन

गाडरवारा। विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक एवं आध्यात्मिक गुरु आचार्य रजनीश ओशो के संबोधि दिवस (21 मार्च) के उपलक्ष्य में संपूर्ण भारतवर्ष के प्रमुख ओशो आश्रमों में विशेष ध्यान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में स्थानीय ओशो लीला आश्रम में भी तीन दिवसीय ओशो संबोधि उत्सव ध्यान शिविर का आयोजन 19 मार्च से 21 मार्च तक किया जाएगा।
इस ध्यान शिविर का संचालन स्वामी ध्यान आकाश एवं स्वामी अनुराग के सानिध्य में संपन्न होगा, जिसमें स्थानीय एवं बाहर से आने वाले ओशो सन्यासी बड़ी संख्या में भाग लेंगे। इस अवसर पर ओशो की विभिन्न ध्यान विधियों का अभ्यास कराया जाएगा, जिससे प्रतिभागी आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव कर सकेंगे।
संबोधि दिवस का महत्व
ओशो लीला आश्रम के मीडिया प्रभारी स्वामी राजेश नीरस ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 मार्च 1953 को जबलपुर के भंवरताल स्थित मौली श्री वृक्ष के नीचे आचार्य रजनीश ओशो को संबोधि (बुद्धत्व) की प्राप्ति हुई थी। यह वह क्षण था जब उन्होंने गहन ध्यान की अवस्था में आत्मज्ञान प्राप्त किया और उनकी आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ हुई।
ओशो की शिक्षाएं और प्रभाव
ओशो की शिक्षाएं पूरी दुनिया में आध्यात्मिकता, ध्यान, प्रेम और स्वतंत्रता पर आधारित हैं। उनके द्वारा विकसित ध्यान विधियां लाखों लोगों को आंतरिक शांति और आत्मबोध की ओर प्रेरित कर रही हैं। उनके विचार न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में गहरी स्वीकृति और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
यह ध्यान शिविर ओशो प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अवसर होगा, जिसमें वे ध्यान साधना के माध्यम से अपने भीतर झांकने और आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने का अनुभव कर सकेंगे।