पति ने पत्नी और बेटी की जमीन बेची, पीड़ितों ने अदालत में लगाई न्याय की गुहार

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
सोहागपुर। एक महिला और उसकी बेटी ने अपने हक की जमीन धोखाधड़ी से बेचने के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया है। आरोप है कि महिला के पति ने अपनी पत्नी और बेटी की जानकारी के बिना उनकी कृषि भूमि का गुपचुप तरीके से विक्रय कर दिया। इस मामले में पीड़ितों ने अदालत से न्याय की मांग करते हुए भूमि का नामांतरण आदेश निरस्त करने की अपील की है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपीलार्थी सावित्रीबाई (पत्नी) और उनकी पुत्री सविताबाई वर्षों से अपने पति धनराज कतिया की प्रताड़ना से तंग आकर अलग रह रही हैं। वे वर्तमान में ग्राम चुरका, तहसील पिपरिया, जिला नर्मदापुरम में अपना जीवन-यापन कर रही हैं।
बताया जा रहा है कि धनराज कतिया और अपीलार्थियों के बीच पहले पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा हुआ था, जिसमें सावित्रीबाई और सविताबाई को ग्राम बरूआढाना, तहसील सोहागपुर की कृषि भूमि खसरा नंबर 231/4 (0.6190 हेक्टेयर) और खसरा नंबर 240/5 (0.4940 हेक्टेयर) प्राप्त हुई थी। इस भूमि पर वे वर्षों से खेती कर अपना गुजारा कर रही थीं।
धोखाधड़ी से कर दी जमीन की बिक्री
अपील के अनुसार, धनराज कतिया ने बिना किसी पूर्व सूचना के 06 दिसंबर 2024 को इस भूमि को बेच दिया और उसके नाम पर पंजीकृत विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) तैयार करवा ली।
जब सावित्रीबाई और सविताबाई को इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत धनराज और भूमि क्रेता से संपर्क कर विरोध जताया। लेकिन आरोप है कि धनराज ने उन्हें धमकी दी और कहा कि वे इस मामले में कुछ नहीं कर सकतीं।
इतना ही नहीं, धनराज और उसके साथियों ने अपीलार्थियों को गाली-गलौज की और उन्हें जान से मारने की धमकी तक दे डाली। इस घटना के बाद अपीलार्थियों ने न्याय की गुहार लगाते हुए अदालत में अपील दायर की।
नामांतरण प्रक्रिया में भी की गई अनियमितताएं
अपीलार्थियों ने अपने आवेदन में यह भी आरोप लगाया है कि धनराज ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तहसील कार्यालय में विक्रय पत्र प्रस्तुत किया और नामांतरण की प्रक्रिया शुरू करवाई।
19 दिसंबर 2024 को तहसीलदार, सोहागपुर ने बिना उचित जांच और बिना अपीलार्थियों को नोटिस दिए नामांतरण आदेश पारित कर दिया।
अदालत में दायर की गई अपील में क्या हैं प्रमुख बिंदु?
- बिना सूचना दिए भूमि का अवैध विक्रय – सावित्रीबाई और सविताबाई को इस प्रक्रिया में पक्षकार नहीं बनाया गया, जो कानूनन गलत है।
- फर्जी दस्तावेजों का उपयोग – धनराज ने विक्रय पत्र में जालसाजी करते हुए मूल भूमि स्वामी के नाम को बदला और फर्जी कागजात तैयार करवाए।
- नामांतरण आदेश गैरकानूनी – तहसीलदार, सोहागपुर ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए सिर्फ 13 दिनों के भीतर नामांतरण आदेश पारित कर दिया, जबकि नियमानुसार 15 दिन का समय देना आवश्यक था।
- विवादित भूमि पर वर्षों से अपीलार्थियों का कब्जा – यह भूमि आपसी पारिवारिक बंटवारे में मिली थी, जिसे धनराज ने नजरअंदाज कर विक्रय कर दिया।
- अपीलार्थियों को पक्षकार नहीं बनाया गया – न्यायिक प्रक्रिया में उन्हें सुना ही नहीं गया और एकपक्षीय निर्णय लिया गया।
अपीलार्थियों की मांग
अपीलार्थियों ने न्यायालय से मांग की है कि –
- धोखाधड़ी से किए गए विक्रय को अवैध घोषित किया जाए।
- नामांतरण आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए।
- धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।
क्या कहता है कानून?
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि भूमि पारिवारिक बंटवारे में किसी व्यक्ति को मिली हो, तो उसे उसकी सहमति के बिना बेचना अवैध है। साथ ही, राजस्व प्रकरण में संबंधित पक्ष को सूचना दिए बिना नामांतरण प्रक्रिया पूरी करना कानूनन गलत है।
आगे क्या?
इस मामले में अब न्यायालय का निर्णय महत्वपूर्ण होगा। यदि अदालत अपीलार्थियों के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो यह उन पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की जीत होगी, जो वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं।
अब देखना होगा कि न्यायालय इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।