मोदी सरकार का बड़ा फैसला, एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मिली मंजूरी, जानें अब कैसे होंगे चुनाव
दिल्ली-एक देश-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट मीटिंग में चर्चा की गई और सरकार ने इसे मंजूरी दे दी. वहीं मंगलवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर बड़ा ऐलान किया था।
शाह ने कहा था कि मोदी सरकार इसी कार्यकाल में ‘एक देश एक चुनाव’ लागू करेगी. इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में भी ‘एक देश एक चुनाव’ के वादे को शामिल किया था. वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी।
इस कमेटी ने इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. कमेटी ने 191 दिनों तक कई विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों के लोगों से चर्चा के बाद 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया, जिससे अगले लोकसभा चुनाव के साथ ही इनके चुनाव भी कराए जा सकें.
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सौंपी गई इस रिपोर्ट में हंग असेंबली और अविश्वास प्रस्ताव की स्तिथि को लेकर भी सुझाव दिया गया है. कमेटी ने सिफारिश की है कि ऐसी स्थिति में किसी विधानसभा के बचे हुए कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जा सकते हैं. इस रिपोर्ट में देशभर में तीन चरणों में चुनाव कराने का भी सुझाव दिया है।
कमेटी के मुताबिक पहले चरण में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाएं। इसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर ही स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं. वहीं तीसरे चरण में समिति ने यह भी सिफारिश की है कि इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग एक ही वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है. साथ ही सुरक्षा बलों, प्रशासनिक अफसरों और कर्मचारियों की व्यवस्था के लिए एडवांस में प्लानिंग करने की सिफारिश की गई है।
कमेटी ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया था. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैबिनेट ने कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अधिकांशतः साथ-साथ कराए गए थे. इसके बाद ये चक्र टूट गया था।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि समिति ने 191 दिन इस विषय (एक देश एक चुनाव) पर काम किया. इस विषय पर समिति को 21 हजार 558 प्रतिक्रियाएं मिलीं. इसमें से 80% ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया. 47 राजनीतिक दल ने इस पर प्रतिक्रिया दी. 15 को छोड़कर बाकी ने इसका समर्थन किया. समिति ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, निवार्चन आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्तों से इस पर बातचीत की।
पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे
उन्होंने बताया कि दो चरणों में इसको लागू किया जाएगा. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे. दूसरे चरण में स्थानीय चुनाव (पंचायत और निगम) होंगे. इस कमेटी की रिपोर्ट पर देशभर में चर्चा होगी. इसमें हितधारकों और सामाजिक संगठनों से बात की जाएगी।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि विधि आयोग ने निर्वाचन विधियों में सुधार पर अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा है कि हर साल और बिना उपयुक्त समय के निर्वाचनों के चक्र का अंत किया जाना चाहिए. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा और विधानसभाओं के लिए साथ-साथ चुनाव कराने को लेकर दिसंबर 2015 में पेश अपनी 79वीं रिपोर्ट में इसकी भी जांच की है।
हम आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे
ये प्रस्ताव कब तक लागू और इसके लिए जरूरी 2 तिहाई बहुमत पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी टर्म में लागू करेंगे. सबसे बात करेंगे.बड़ी संख्या में पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. अगले कुछ महीनों में हम आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. कमेटी की सिफारिशों पर कार्यान्वयन समूह का गठन किया जाएगा. सिफारिशों पर देश में विभिन्न मंचों पर चर्चा की जाएगी।
विपक्ष में आंतरिक दबाव न बनने लगे
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को विपक्ष की ओर से अव्यावहारिक बताने वाली टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘एक देश एक चुनाव’ के बारे में बहुत जल्दी विपक्ष में आंतरिक दबाव न बनने लगे, क्योंकि 80 फीसदी से अधिक लोगों ने इसे समर्थन दिया है. खासकर युवा, इसके पक्ष में हैं।