MP में चौंकाने वाला मामला: 18 महीने पहले जिसका अंतिम संस्कार हुआ, वह महिला जिंदा लौट आई!

मंदसौर (MP): मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पुलिस प्रशासन और स्थानीय लोगों को हैरानी में डाल दिया है। करीब 18 महीने पहले मृत मानकर अंतिम संस्कार की जा चुकी महिला अचानक जीवित लौट आई। इस घटना से न केवल परिजन बल्कि पुलिस भी हैरान है, क्योंकि इस मामले में चार लोगों को हत्या के आरोप में जेल भेजा जा चुका है।
मृत महिला अचानक जिंदा लौटी
यह मामला मंदसौर जिले के गांधी सागर थाना क्षेत्र का है। यहां ललिता बाई नाम की महिला को 18 महीने पहले मृत मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में शव की पहचान की थी और विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। इसके बाद हत्या के आरोप में चार लोगों को जेल भी भेज दिया गया।
लेकिन अब ललिता अचानक अपने घर लौट आई, जिससे पूरे गांव और पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई। ललिता ने खुद गांधी सागर थाने पहुंचकर अपने जिंदा होने की पूरी कहानी बताई।
कैसे हुई ललिता की मौत की गलत पहचान?
ललिता के पिता रमेश ने बताया कि 9 सितंबर 2023 को उन्होंने एक वीडियो देखा था, जिसमें एक महिला को ट्रक से कुचलते हुए दिखाया गया था। इसके बाद उन्होंने थांदला पुलिस से संपर्क किया और पुलिस ने उनके सामने एक क्षतिग्रस्त शव रखा। शव पर हाथ में नाम गुदा हुआ था और पैर में काला धागा बंधा था, जिससे रमेश ने उसे अपनी बेटी ललिता मान लिया।
इसके बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार और मृत्युभोज (मौसर) तक की सारी रस्में पूरी कर दीं। पुलिस ने इसे हत्या मानते हुए चार लोगों – इमरान, शाहरुख, सोनू और एजाज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
ललिता ने बताई पूरी सच्चाई
ललिता ने पुलिस को बताया कि शाहरुख नाम के व्यक्ति ने उसे 5 लाख रुपये में कोटा के एक व्यक्ति को बेच दिया था। वह डेढ़ साल से कोटा में ही रह रही थी और जैसे-तैसे वहां से भाग निकली। ललिता ने पुलिस को अपने आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज दिखाए ताकि साबित कर सके कि वह ही असली ललिता है।
अब उठ रहे कई सवाल
- जिस महिला का अंतिम संस्कार हुआ, वह कौन थी?
- ललिता की हत्या के झूठे आरोप में जेल गए चार लोगों को न्याय कैसे मिलेगा?
- क्या पुलिस की जांच में लापरवाही हुई?
- क्या यह मानव तस्करी का मामला है? और इसमें कौन-कौन शामिल था?
पुलिस की प्रतिक्रिया
गांधी सागर थाना प्रभारी तरुण भारद्वाज ने बताया कि गांववालों और परिजनों ने ललिता की पहचान कर ली है। मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दिया गया है और अब जांच नए सिरे से की जा रही है।
निष्कर्ष
यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक गलत पहचान के आधार पर चार लोगों को सजा मिल गई, जबकि असली पीड़िता कहीं और संघर्ष कर रही थी। अब देखना होगा कि पुलिस इस गुत्थी को कैसे सुलझाती है और क्या निर्दोषों को न्याय मिल पाता है या नहीं।