क्राइममध्य प्रदेशराज्य

मध्यप्रदेश: सरकारी बाबू ने वेतन में किया बड़ा घोटाला, ₹44,000 से बढ़ाकर ₹4,44,000 कर ली सैलरी!

जबलपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक सरकारी कर्मचारी द्वारा किए गए बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सरकारी बाबू संदीप शर्मा ने अपने वेतन में हेराफेरी करते हुए ₹44,000 से सीधा ₹4,44,000 कर लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम पर सरकारी खजाने से ₹6.74 करोड़ की धांधली भी कर डाली। मामला सामने आने के बाद संदीप शर्मा फरार हो गया है, जबकि प्रशासन ने 25 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

कैसे किया गया घोटाला?

हर जिले में संयुक्त संचालक क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा ऑफिस होता है, जो सरकारी विभागों के खर्च का ऑडिट करता है। जबलपुर में पदस्थ बाबू संदीप शर्मा को विभाग के वेतन पत्रक तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस जिम्मेदारी का फायदा उठाकर संदीप ने अपनी मूल सैलरी ₹44,000 में एक अतिरिक्त ‘4’ जोड़कर ₹4,44,000 कर ली और यह वेतन महीनों तक प्राप्त करता रहा।

इसके अलावा, उसने कुछ कर्मचारियों को फर्जी तरीके से रिटायर दिखाया और उनकी ग्रेच्युटी का पैसा भी निकाल लिया। साथ ही, अपने और अपने परिवारजनों के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर लिए।

घोटाले का खुलासा और कार्रवाई

जब इस घोटाले की भनक प्रशासन को लगी, तो जांच शुरू की गई। रिपोर्ट में यह सामने आया कि संदीप शर्मा ने लगभग ₹6.74 करोड़ की हेराफेरी कर अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। जैसे ही मामला उजागर हुआ, वह फरार हो गया।

प्रशासन की कार्रवाई:

  • घोटाले में शामिल 25 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
  • संदीप शर्मा को निलंबित कर दिया गया है
  • पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया है।
  • प्रशासन ने संदीप शर्मा की संपत्तियों की जांच और कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी है

फरार होने से पहले छोड़ा पत्र

घोटाले का खुलासा होने के बाद, संदीप शर्मा ने फरार होने से पहले एक पत्र लिखा, जिसमें उसने पूरे घोटाले की जिम्मेदारी खुद पर ली और आत्महत्या की बात भी लिखी। हालांकि, पुलिस इसे एक बचाव का तरीका मान रही है और उसकी तलाश में जुटी है।

क्या यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा?

इस घोटाले ने सरकारी विभागों में लेखा-जोखा और ऑडिट प्रक्रिया की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। सवाल यह उठता है कि इतने महीनों तक यह हेराफेरी कैसे चलती रही और किसी को शक क्यों नहीं हुआ? प्रशासन की इस लापरवाही ने सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।

अब क्या होगा?

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्त कार्रवाई करता है और संदीप शर्मा को कब तक गिरफ्तार किया जाता है। इसके अलावा, घोटाले में लिप्त अन्य कर्मचारियों पर भी क्या कदम उठाए जाएंगे, यह महत्वपूर्ण रहेगा।

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