मध्यप्रदेश में दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन, न्यूनतम पेंशन से भी वंचित दिव्यांगजन

भोपाल। देशभर में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 लागू है, जिसमें दिव्यांगों के लिए न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा और पेंशन की गारंटी दी गई है। अधिनियम की धारा 241 के तहत दिव्यांग व्यक्तियों को न्यूनतम ₹1562 प्रतिमाह का भुगतान सुनिश्चित किया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश में आज भी केवल ₹600 मासिक पेंशन दी जा रही है, जो कानून के स्पष्ट उल्लंघन का संकेत है।
मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिव्यांगजन पेंशन को बढ़ाकर ₹1100 करने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, हजारों दिव्यांगजन आज भी अत्यधिक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
देशभर की तुलना में मध्यप्रदेश पिछड़ा
राज्य | मासिक पेंशन राशि (₹) |
---|---|
आंध्र प्रदेश | 6000 |
हरियाणा | 3000 |
दिल्ली | 2500 |
गोवा | 2000 |
केरल | 1600 |
तेलंगाना | 1500 |
बिहार | 1100 |
मध्यप्रदेश | 600 |
इस तुलना से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत पीछे है। सरकार जहां लाड़ली बहना योजना पर विशेष ध्यान दे रही है, वहीं दिव्यांगजन जिन्हें विशेष सहयोग की आवश्यकता है, उन्हें न्यूनतम पेंशन तक नहीं मिल रही है।
दिव्यांगजन कर रहे हैं अपील
राज्य के दिव्यांगजन और सामाजिक कार्यकर्ता सरकार से मांग कर रहे हैं कि:
- दिव्यांग पेंशन को अविलंब ₹1100 किया जाए।
- अधिनियम की धारा 241 के अनुसार ₹1562 की न्यूनतम राशि लागू की जाए।
- सभी योग्य दिव्यांगों का डेटा पुनः सत्यापन कर, उन्हें लाभ से जोड़ा जाए।
निष्कर्ष
दिव्यांगों की उपेक्षा एक मानवीय और संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मध्यप्रदेश सरकार को चाहिए कि वह चुनावी घोषणाओं को धरातल पर उतारे और दिव्यांगजनों को उनका कानूनी हक दे।