मृत शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी, नरसिंहपुर शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर

नरसिंहपुर: मध्यप्रदेश के जिले नरसिंहपुर में शिक्षा विभाग की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। एक शिक्षक, जिनकी मृत्यु 11 साल पहले हो चुकी थी, उन्हें गैरहाजिरी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
क्या है पूरा मामला?
दिनांक 1 मार्च 2025 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ), जिला पंचायत नरसिंहपुर द्वारा एकीकृत माध्यमिक शाला ऊसरी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान शिक्षक लखनलाल चौधरी अनुपस्थित पाए गए। इसके बाद 10 मार्च 2025 को पत्र क्रमांक 422 द्वारा उन्हें सिविल सेवा आचरण नियम 1965 (3) का दोषी मानते हुए सिविल सेवा नियम 1966 के तहत तीन दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस भेजा गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षक लखनलाल चौधरी की मृत्यु 18 जनवरी 2014 को ही हो चुकी थी।
मृत शिक्षक के परिवार में मचा हड़कंप
नोटिस मिलते ही मृत शिक्षक के परिवार में आश्चर्य और आक्रोश का माहौल बन गया। परिजनों को समझ नहीं आ रहा था कि मृत व्यक्ति को नोटिस कैसे जारी किया जा सकता है?
परिवार ने शिक्षा विभाग पर लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। यह घटना उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग में अफरातफरी मच गई, और अधिकारियों ने अपनी सफाई देनी शुरू कर दी।
जिम्मेदार अधिकारियों की सफाई
1. जिला शिक्षा अधिकारी, नरसिंहपुर – अनिल व्योहार
“यह पत्र त्रुटिवश जारी हो गया था।”
2. जिला समन्वयक अधिकारी, नरसिंहपुर – आर.पी. चतुर्वेदी
“पोर्टल में मृतक का नाम दर्ज होने के कारण गलती से पत्र जारी हुआ, जिसे अब निरस्त किया जा रहा है।”
3. मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत नरसिंहपुर – दलीप कुमार
“मृतक शिक्षक का नाम अभी तक पोर्टल से नहीं हटाया गया था, इसलिए गलती हुई। अब पोर्टल में सुधार कर गलती ठीक कर ली जाएगी।”
क्या कहता है यह मामला?
यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही और कागजी प्रक्रिया की गंभीर खामियों को उजागर करती है।
- मृत व्यक्ति को नोटिस जारी करना दर्शाता है कि शिक्षा विभाग में अभी भी पुराने रिकॉर्ड अपडेट नहीं किए गए हैं।
- अधिकारियों की ओर से बिना सत्यापन के ही नोटिस जारी कर दिए जाते हैं।
- शिक्षा विभाग में निलंबन और बहाली की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है
अब क्या हो सकता है?
- शिक्षा विभाग इस घटना की आंतरिक जांच कर सकता है।
- मृत शिक्षकों के नाम पोर्टल से हटाने की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।
- भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए कड़े निर्देश जारी किए जा सकते हैं
निष्कर्ष
नरसिंहपुर में शिक्षा विभाग की यह गंभीर लापरवाही बताती है कि सरकारी तंत्र में सुधार की जरूरत है।
अब देखना होगा कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर इसे भी ‘त्रुटिवश हुई गलती’ बताकर दबा दिया जाएगा।