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कांग्रेस के पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ कलेक्टर को सौंपा अविश्वास प्रस्ताव! नगर पालिका का सम्मेलन आयोजित कर बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की मांग

बोले-लाखाें रूपए के काम हमारी बगैर सहमति के, गोलमाल के लिए हम नहीं जिम्मेदार

कांग्रेस के पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ कलेक्टर को सौंपा अविश्वास प्रस्ताव! नगर पालिका का सम्मेलन आयोजित कर बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की मांग

 

भाजपा के 9, कांग्रेस के 11 पार्षदों ने पीआईसी की सातों समितियों से दिया त्याग पत्र
समितियों में सदस्य बनाने की सूचना डेढ़ साल बाद देने से नाराज
बोले-लाखाें रूपए के काम हमारी बगैर सहमति के, गोलमाल के लिए हम नहीं जिम्मेदार

नागदा | शहर विकास का आधार माने जाने वाली नगर पालिका परिषद पर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। 36 में से 20 पार्षदों ने प्रेसिडेंट इन कौंसिल ( पीआईसी ) की विभिन्न विभागों की सातों समितियों में सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि मंगलवार को भाजपा के 9 सदस्यों ने त्याग पत्र दिया था। इसके बाद बुधवार शाम कांग्रेस के 11 पार्षदों ने भी पीआईसी से किनारा कर लिया है। भाजपा की तरह कांग्रेस पार्षदों का भी यह कहना है कि उन्हें प्रेसिडेंट इन कौंसिल में कब सदस्य बनाया गया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। पार्षदों का कहना था कि अगर वे पीआईसी की विभागीय समितियों के सदस्य मनोनित किए गए थे तो नपा परिषद के दो साल के कार्यकाल में एक बार भी विभागीय समितियों की बैठक में उन्हें क्यों नहीं बुलाया गया। समितियों में सदस्य होने की सूचना उन्हें हाल ही में 9 अक्टूबर को एक पत्र के माध्यम से मिली है। बड़ा सवाल यह भी हैं कि विभागीय समितियों के माध्यम से ही शहर विकास के प्रस्ताव पीआईसी और फिर परिषद तक पहुंचते है। ऐसे में जब पार्षदों को ही ये नहीं मालूम कि वो कौन से विभाग की समिति के सदस्य हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि दो साल के भीतर पीआईसी से पारित 40 लाख रूपए तक के प्रस्तावों में कितने बड़े स्तर पर गोलमाल होगा। कांग्रेस पार्षदों ने यह भी दावा किया कि बगैर समितियों की डिमांड के निर्माण, खरीदी व सप्लाई के प्रस्ताव तैयार नहीं होते ऐसे में यह आर्श्चयजनक है कि बगैर समितियों की अनुशंसा के प्रस्ताव पीआईसी तक पहुंचे भी और पारित भी हो गए।

हम नहीं होंगे जिम्मेदार

कांग्रेस पार्षदों ने मीडिया को दिए बयान में यह दावा किया कि पीआईसी की विभिन्न विभागीय समितियों का गठन 29 दिसंबर 2023 को कर पार्षदों को समितियों में सदस्य मनोनित करना बताया गया है। मनाेनयन की सूचना उन्हें डेढ़ वर्ष बाद यानि की 9 अक्टूबर 2024 को एक पत्र के माध्यम दी गई। इस अवधि में जितनी भी पीआईसी की बैठक आहूत की गई, और इसमें जितने नीतिगत प्रस्ताव पारित किए गए, उनसे कांग्रेस पार्षदों का लेना-देना नहीं है। क्योंकि 40-40 लाख रुपए के कई प्रस्ताव पीआईसी से पारित किए गए, इसमें बड़े स्तर पर गाेलमाल हुआ है। जिसके लिए कांग्रेस पार्षद कतई जिम्मेदार नहीं है।

36 में से 20 विरोध में, 3 आज दे सकते हैं इस्तीफा

मंगलवार को भाजपा पार्षद मंजू राजेश गगरानी, स्नेहलता नरेंद्र सेंगर, अंतिम मावर, उषा नरेश यादव, उषा रामू सिसौदिया, सतीश कैथवास, साहिल शर्मा, महेंद्र सिंह चौहान, सीमा भूपेंद्र राणावत ने इस्तीफा दिया था। बुधवार को कांग्रेस पार्षद प्रमोदसिंह चौहान, संदीप चौधरी, रेखा राजकुुमार राठौर, मेघा धवन, गौरी साहनी, श्याम कुंवर विक्रम शेखावत, सपना वासुदेव चौहान, विशालसिंह गुर्जर, रमाशंकर मालवीय, आसिफ हुसैन बन्टु जी-9, अब्दुल शरीफ ने नपाध्यक्ष संतोष गेहलोत व सीएमओ प्रेमकुमार सुमन को त्यागपत्र सौंपा है । भाजपा बहुूमत की नपा परिषद में कुल 36 पार्षद है। इसमें कांग्रेस के 11 के साथ भाजपा के 9 पार्षदों ने भी पीआईसी की विभागीय समितियों से इस्तीफा दे दिया है। गुरूवार को भाजपा के 3 और पार्षदों के इस्तीफा देने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में वर्तमान स्थिति पर ही गौर करें तो शेष रहे 16 में से पीआईसी के सात विभाग के 7 सभापति है। एक नपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष है। नपा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और समितियों के सभापति समितियों में सदस्य नहीं बनाए जा सकते। ऐसे में शेष रहे 7 पार्षद। नियम कहता हैं कि प्रत्येक विभागीय समितियों में 4 सदस्य होना अनिवार्य है। ऐसे में अब शहर विकास का फैसला कौन और कैसे करेगा…। ये आने वाला वक्त ही तय करेगा।
समितियों की बैठक हर दो माह में बुलाई जाती है। जिसकी सूचना सभापति सदस्यों को देते हैं। अब कोई बैठक में पहुंचे नहीं तो इसमें हम क्या कर सकते हैं।

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