मध्य प्रदेशराज्य

Jabalpur News: नकली नोटों का बड़ा रैकेट पकड़ा गया, 3 लाख असली के बदले 12 लाख के नकली नोट, अब तक 7 गिरफ्तार

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में नकली नोटों का एक बड़ा रैकेट उजागर हुआ है, जिसने पुलिस और खुफिया तंत्र को भी चौंका दिया है। इस मामले में अब तक 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि एक आरोपी अभी फरार है। पकड़े गए आरोपियों के पास से करीब 18 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए गए हैं।

1 लाख नकली के बदले 30 हजार असली नोट

हनुमानताल पुलिस को 16 जून को मुखबिर से सूचना मिली थी कि मदार टेकरी क्षेत्र में नकली नोटों का सौदा किया जा रहा है। इसके बाद 55 वर्षीय रवि दाहिया को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। उसके पास से 2.94 लाख रुपए के नकली 500-500 के नोट बरामद हुए। पूछताछ में उसने कबूला कि यह नोट उसे ऋतुराज विश्वकर्मा नामक युवक से मिले थे, जो हर 1 लाख नकली नोट के बदले 30 हजार असली नोट की डील करता था।

मास्टरमाइंड ऋतुराज का किराए का घर बना था नोट फैक्ट्री

पुलिस ने जब ऋतुराज के घर पर छापा मारा, तो वहां से 1.94 लाख नकली नोट, कलर प्रिंटर, A4 पेपर, कटर, और एक लैपटॉप बरामद किया गया। जांच में सामने आया कि वह पिछले एक महीने से नोट छापने के काम में जुटा था। ऋतुराज ने 3 लाख असली नोट के बदले 12 लाख नकली नोट देने की डील भी की थी।

राज्य भर में नेटवर्क फैलाने की थी योजना

ऋतुराज की योजना केवल जबलपुर तक सीमित नहीं थी। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि वह पूरे मध्यप्रदेश के जिलों में नकली नोटों का नेटवर्क फैलाने की योजना बना चुका था। इसके लिए उसने मंडला निवासी संतोष श्रीवास्तव और अजय नवेरिया को 12 लाख नकली नोट थमाए थे, जिनके बदले 3 लाख असली नोट मिलने थे।

कम शिक्षित ग्रामीण क्षेत्रों को बनाया निशाना

गिरोह ने पहले जबलपुर और आसपास के ग्रामीण, आदिवासी इलाकों को चुना, जहां नकली नोट पहचानना लोगों के लिए कठिन होता है। आरोपी धीरज, गौरव और राकेश के संपर्क में आए और वहीं से नकली नोटों को बाजार में चलाने की योजना बनी।

दिन में नौकरी, रात में नकली नोटों की छपाई

दिलचस्प बात यह रही कि ऋतुराज अपने परिवार को दिन में प्राइवेट नौकरी करने का बहाना देता था, जबकि रात में कमरे में बंद होकर नकली नोट छापा करता था। वह महंगे प्रिंटिंग कलर, व्हाइट पेपर और सिल्वर स्ट्रिप्स का इस्तेमाल करता था ताकि नोट असली जैसे लगें।

नकली नोट की पहचान मुश्किल

पुलिस के अनुसार नकली नोट इतने बारीकी से बनाए गए थे कि आम आदमी के लिए उन्हें पहचानना कठिन था। हालांकि पेपर की मोटाई, टेक्सचर और नोट की लचीलापन देखकर नकली होने का अंदाज़ लगाया जा सकता है।

एक आरोपी अब भी फरार

इस गिरोह का एक अहम सदस्य राकेश तिवारी अब भी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही है।

पुलिस का बयान:

“यह गिरोह अत्यंत पेशेवर तरीके से काम कर रहा था। राज्य में नकली नोटों की आपूर्ति रोकने के लिए सतर्कता बढ़ा दी गई है। फरार आरोपी की गिरफ्तारी भी जल्द होगी।” — पुलिस अधिकारी, जबलपुर

 

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