गाडरवारा के प्राचीन खेड़ापति माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि महोत्सव प्रारंभ, दुर्गा प्रतिमा और ज्वारों की हुई स्थापना

गाडरवारा, जिला नरसिंहपुर। नगर के ऐतिहासिक एवं आस्था के प्रमुख केंद्र खेड़ापति माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर सप्तमी तिथि को परंपरानुसार दुर्गा प्रतिमा एवं ज्वारों की स्थापना के साथ 15 दिवसीय नवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ हुआ। भक्ति, श्रद्धा और परंपरा से सराबोर यह आयोजन नगरवासियों के लिए विशेष आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन
खेड़ापति माता मंदिर गाडरवारा का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि से दुर्गा प्रतिमा एवं ज्वारों की स्थापना की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह परंपरा अब भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से निभाई जा रही है।
तीन बार हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार
इस मंदिर का जीर्णोद्धार अब तक तीन बार हो चुका है। दूसरी बार इसका पुनर्निर्माण 1960 से पूर्व नगर के प्रतिष्ठित नागरिक सुंदरलाल सोनी पहलवान, परसोत्तमदास गुप्ता (परसू सेठ) और बड़े सेठ परिवार ने जनसहयोग से करवाया था। तब से लेकर आज तक नवरात्रि के दौरान दुर्गा प्रतिमा की स्थापना और रामघाट में विसर्जन की परंपरा अनवरत जारी है।
भव्य नगर भ्रमण और विसर्जन यात्रा
चैत्र पूर्णिमा की रात्रि को माता रानी की प्रतिमा का नगर भ्रमण कराया जाता है। आकर्षक झांकी, भजन मंडलियों की प्रस्तुति और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के साथ यह यात्रा नगर की प्रमुख गलियों से होती हुई रामघाट पहुंचती है, जहां विधिवत पूजन-अर्चन के पश्चात प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
मंदिर परिसर में कई देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा
खेड़ापति माता मंदिर परिसर में शीतला माता, सिंह वाहिनी माता, मेली माता, दूल्हा देव महाराज, सिद्ध बाबा, भैरव बाबा, संकट मोचन हनुमान एवं शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई है। यहां श्रद्धालु प्रतिदिन पूजन और दर्शन हेतु पहुंचते हैं।
नवरात्रि महोत्सव में भक्ति का माहौल
15 दिवसीय नवरात्रि महोत्सव के अंतर्गत प्रतिदिन भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन, हलवा भोग का वितरण और भक्ति संध्या जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मंदिर समिति एवं नगरवासियों की सहभागिता से यह आयोजन और भी भव्य रूप लेता है।
जनसहयोग और श्रद्धा की मिसाल
खेड़ापति माता मंदिर का यह आयोजन जनसहयोग और सामूहिक श्रद्धा का उदाहरण है। हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु सेवा, सजावट, भंडारे और अन्य व्यवस्थाओं में अपना योगदान देते हैं। नवरात्रि महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर आकर्षक विद्युत सज्जा और फूलों से सजाया जाता है।