गाडरवाराजबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

एनटीपीसी के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया बैगन ट्रिपलर का मॉडल

एनटीपीसी के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया बैगन ट्रिपलर का मॉडल

एनटीपीसी के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया बैगन ट्रिपलर का मॉडल

जबलपुर : महाकौशल विज्ञान परिषद द्वारा वेटरनरी कॉलेज मैदान में 15 से 18 नवंबर तक आयोजित किया गया, प्रथम महाकौशल विज्ञान मेला और आरोग्य एक्सपो विद्यार्थियों के अन्दर विज्ञान की नवीन परिकल्पनाओं का सृजन तो कर ही रहा है, साथ ही कोसों दूर संचालित होने वाली वैज्ञानिक गतिविधियों को एक स्थान पर प्रदर्शित कर उनकी सफलता की राहों को आसान भी कर रहा है। महाकौशल विज्ञान मेला में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) गाडरवारा द्वारा लगाया गया स्टाल भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) गाडरवारा के पर्यावरण विभाग के उपमहाप्रबंधक श्री जितेंद्र कुमार मीना ने बताया कि प्लांट में 800 मेगावाट क्षमता के दो केंद्र स्थापित किए गए हैं। जिससे कुल 1600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान भारी मात्रा में अत्यंत बारीक फ्लाई एश डस्ट का निर्माण होता है। यह वायु में मिलकर उसे प्रदूषित न करे, इसलिए फ्लाई एश को संगृहित कर इसे इकोफ्रेंडली पद्धति से वितरित किया जाता है। विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया से बनने वाले फ्लाई एश का उपयोग सड़कों के निर्माण के लिए किया जाता है।

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

उपमहाप्रबंधक श्री मीना ने बताया कि विद्युत उत्पादन के दौरान चिमनियों से सॉक्स, नॉक्स एवं पर्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है। जिसे विशेष तकनीकों की सहायता से नियंत्रित किया जाता है। पर्टिकुलेट मैटर के वायु में विलय को रोकने के लिए संयंत्र में उच्च क्षमता से युक्त ईएसपी तंत्र तथा सॉक्स प्रदूषक को नियंत्रित करने के लिए एकजीडी तंत्र को स्थापित किया गया है। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) गाडरवारा में प्रतिदिन आने वाली मालगाड़ियों के बैगन से कोयले की मात्रा को डंप करने के लिए विशेष पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिसे बैगन ट्रिपलर के नाम से जाना जाता है। विज्ञान मेला में बैगन ट्रिपलर का मॉडल बनाकर प्रदर्शन के लिए भी रखा गया है। बैगन ट्रिपलर समय को बचाने और मैनपावर कम कर कॉस्ट नियंत्रित करने में सहायक है।

उपमहाप्रबंधक श्री मीना ने बतया कि भविष्य में इस संयंत्र में मियावकी प्लांटेशन तंत्र की स्थापना भी की जाएगी। यह तंत्र वातावरण में भारी मात्रा में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करेगा। इसके साथ ही प्लांट द्वारा कार्बन सिंक प्लांटेशन परियोजना के तहत कार्बन को कम कर वातावरण को स्वच्छ करने वाले सागौन एवं शीशम जैसे तरह-तरह के 5 लाख 33 हजार पौधों का रोपण भी किया जा चुका है। विद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी सामग्रियों की जानकारी देते हुए जितेंद्र ने बताया कि प्लांट में पानी की आपूर्ति नर्मदा नदी एवं कोयले की आपूर्ति एनसीएल, एसईसीएल, डब्ल्यूसीएल एवं टीएचडीसी जैसे संस्थानों से की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!