एमपी में रिश्वतखोरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, एक ही दिन में 5 भ्रष्ट अधिकारी गिरफ्तार

भोपाल, 1 मार्च 2025: मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की टीमों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ही दिन में पांच रिश्वतखोरों को रंगेहाथों पकड़ा। ये सभी अलग-अलग सरकारी विभागों में कार्यरत थे और सरकारी काम के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे।
प्रदेश में रिश्वतखोरी के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए लोकायुक्त और EOW की टीमों ने निगरानी बढ़ा दी है। सागर, हरदा, सिवनी और बुरहानपुर में हुई इन कार्यवाहियों से यह साफ हो गया है कि बिना रिश्वत के सरकारी दफ्तरों में काम कराना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
चार जिलों में रिश्वतखोरी के मामलों का भंडाफोड़
1. सागर: 50,000 की रिश्वत लेते सहायक रीडर गिरफ्तार
सागर जिले के मालथौन एसडीएम कार्यालय में पदस्थ सहायक रीडर वेदनारायण यादव को EOW सागर की टीम ने 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा।
- शिकायतकर्ता: महेंद्र कुमार (किसान)
- मामला: महेंद्र कुमार की झोलसी गांव में कृषि भूमि का नामांतरण और अवैध कब्जा हटाने से संबंधित प्रकरण एसडीएम कार्यालय मालथौन में एक साल से लंबित था।
- रिश्वत मांगने का कारण: सहायक रीडर ने नामांतरण के बदले किसान से 50,000 रुपये की मांग की थी।
- कार्रवाई: सागर EOW की टीम ने जाल बिछाकर आरोपी को रंगेहाथों पकड़ लिया।
2. हरदा: आरटीओ के बाबू को 50,000 रुपये रिश्वत लेते पकड़ा
हरदा जिले में आरटीओ कार्यालय के बाबू सज्जन सिंह घसोरिया को EOW भोपाल की टीम ने 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
- शिकायतकर्ता: बस मालिक सुरेंद्र तनवानी
- मामला: बाबू ने बस का रजिस्ट्रेशन रद्द न करने के एवज में रिश्वत मांगी थी।
- अतिरिक्त खुलासे: आरोपी के पास से 1 लाख रुपये कैश बरामद हुआ, जिससे उसके अन्य भ्रष्टाचार में लिप्त होने की आशंका जताई जा रही है।
- कार्रवाई: EOW ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
3. सिवनी: कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी और सेल्समैन रिश्वत लेते गिरफ्तार
सिवनी जिले में लोकायुक्त की टीम ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में 40,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए दो अधिकारियों को पकड़ा।
- आरोपी:
- कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ज्योति पटले
- सेल्समैन कैलाश सनोडिया
- मामला: दोनों अधिकारियों ने 73,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी, सौदा 40,000 रुपये में तय हुआ।
- कार्रवाई: लोकायुक्त ने दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर लिया है।
4. बुरहानपुर: जिला अस्पताल का लेखापाल रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा गया
बुरहानपुर जिले में इंदौर लोकायुक्त की टीम ने जिला अस्पताल में पदस्थ लेखापाल (Accountant) राधेश्याम चौहान को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
- शिकायतकर्ता: निलंबित अकाउंटेंट अशोक पठारे
- मामला:
- अशोक पठारे ने मेडिकल क्लेम की राशि के भुगतान के लिए आवेदन दिया था।
- लेखापाल ने पहले 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी, जिसमें से 5,000 रुपये पहले ही दिए जा चुके थे।
- बकाया 15,000 रुपये लेते वक्त उसे लोकायुक्त की टीम ने रंगेहाथों पकड़ लिया।
- कार्रवाई: आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
भ्रष्टाचार पर सवाल: क्या बिना रिश्वत के सरकारी काम संभव नहीं?
मध्यप्रदेश में एक ही दिन में पांच रिश्वतखोरों के पकड़े जाने से यह सवाल उठने लगा है कि क्या बिना रिश्वत दिए सरकारी दफ्तरों में कोई काम नहीं होता?
हालांकि लोकायुक्त और EOW लगातार छापेमारी कर रिश्वतखोरों को पकड़ रही हैं, लेकिन सरकारी तंत्र में यह भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में हुए मामलों से यह साफ है कि राजस्व, परिवहन, आपूर्ति और स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी गहरी जड़ें जमा चुकी है।
सरकार की ओर से कड़े कदम उठाने की जरूरत
प्रदेश में लोकायुक्त और EOW लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रही हैं, लेकिन इन मामलों से यह साफ हो गया है कि सिर्फ कार्रवाई से ही भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता लाने की जरूरत है।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा: नामांतरण, लाइसेंस रजिस्ट्रेशन और अन्य सरकारी सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए।
- सख्त सजा: पकड़े गए अधिकारियों को सिर्फ निलंबित करने की बजाय कड़ी कानूनी सजा दी जाए, ताकि दूसरे अधिकारी रिश्वत लेने से डरें।
- जनता की भागीदारी: भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर और ऐप्स के जरिए जनता को जागरूक किया जाए, ताकि वे बिना डरे रिश्वतखोरी की शिकायत कर सकें।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश में 1 दिन में 5 रिश्वतखोरों के पकड़े जाने से यह साफ हो गया है कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। लोकायुक्त और EOW की ये कार्रवाइयाँ सराहनीय हैं, लेकिन इसे खत्म करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। जब तक भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ी सजा और सेवा से बर्खास्त नहीं किया जाएगा, तब तक यह सिलसिला जारी रहेगा।
प्रदेश की जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है और किसी भी तरह की रिश्वत मांगने की शिकायत तुरंत लोकायुक्त और EOW को करनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता की भागीदारी भी जरूरी है।