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भगवान सहस्त्रवाहुं जयंती पर विशेष भगवान विष्णु के 24वें अवतार सहस्त्रार्जुन

भगवान सहस्त्रवाहुं जयंती पर विशेष भगवान विष्णु के 24वें अवतार सहस्त्रार्जुन

8 नवम्बर

भगवान सहस्त्रवाहुं जयंती पर विशेष
भगवान विष्णु के 24वें अवतार सहस्त्रार्जुन

अवधेश चौकसे, पत्रकार,प्रदेश प्रवक्ता राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ सालीचौका नरसिंहपुर

ध्वज नील, शस्त्र-पूजन कटार और वृक्ष पीपल है, इनका जन्म का नाम एक-वीर था, जो कृतवीर्य के पुत्र होने के नाते कार्तवीर्य व अर्जुन तथा सहस्त्रभुजाएँ होने का वरदान होने के कारण सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाने जाते हैं तथा उनकी पूजा-अर्चना उनके अनुयायी सहस्त्रर्जुन के नाम से करते हैं। जो कि हैहयवंशियों को दीपोत्सव की ही तरह महाराज कार्तवीर्य अर्जुन की गरिमामयी इतिहास और उमंग की याद में उनके गुणगान और महिमा को धूम धाम से जयन्ती के रूप में मनाते हैं।
सहस्त्राजुन जयंती कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। सहस्रार्जुन की कथाएं, महाभारत एवं रामायण, वेदों के साथ सभी पुराणों में प्राय: पाई जाती हैं। चंद्रवंशी क्षत्रियों में सर्वश्रेठ हैहयवंश एक उच्च कुल के क्षत्रिय हैं। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। वह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के द्वारा जन्म कथा का वर्णन भागवत पुराण में लिखा है। अत: सभी अवतारों के भांति वह भी भगवान विष्णु के चौबीसवें अवतार माने गए हैं, इनके नाम से भी पुराण संग्रह में सहस्रार्जुन पुराण के तीन भाग हैं।

सहस्रार्जुन जन्म कथा

वैवस्वतश्च तत्रपि यदा तु मनुरूतम:।
भविश्यति च तत्रैव पन्चविशतिमं यदा॥
कृतं नामयुगं तत्र हैहयान्वयवडॅ. न:।
भवता नृपतिविर्र: कृतवीर्य: प्रतापवान॥

(मत्स्य पुराण) में वर्णित उपरोक्त लोक का अर्थ है कि पचीसवें कृत युग के आरम्भ में हैहय कुल में एक प्रतापी राजा कार्तवीर्य राजा होगा जो सातो द्रवीपों और समस्त भूमंडल का परिपालन करेगा। स्मृति पुराण शास्त्र के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी, जो कि हिन्दी माह के कार्तिक महीने में सातवें दिन पड़ता है, दीपावली के ठीक बाद हर वर्ष मनाया जाता है। महिष्मति महाकाव्य के निम्न लोक के अनुसार यह चन्द्रवंश के महाराजा कृतवीर्य के पुत्र कार्तवीर्य-अर्जुन – हैहयवंश शाखा के 36 राजकुलों में से एक कुल से संबद्घ मानी जाती है। उक्त सभी राजकुलों में – हैहयवंश-कुल के राजवंश के कुलश्रेष्ठ राजा श्री राज राजेश्वर सहस्त्रवाहु अर्जुन समस्त सम-कालीन वंशों में सर्वश्रेष्ठ, सौर्यवान, परिश्रमी, निर्भीक और प्रजा के पालक के रूप की जाती है। यह भी धारणा मानी जाती है कि इस कुल वंश ने सबसे ज्यादा 12000 से अधिक वर्षो तक सफलता पूर्वक शासन किया था। श्री राज राजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन का जन्म महाराज हैहय के दसवीं पीढ़ी में माता पदमिनी के गर्भ से हुआ था, राजा कृतवीर्य के संतान होने के कारण ही इन्हें कार्तवीर्य अर्जुन और भगवान दत्तात्रेय के भक्त होने के नाते उनकी तपस्या कर मांगे गए सहस्त्र बाहु भुजाओं के बल के वरदान के कारण उन्हें सहस्त्रबाहु अर्जुन भी कहा जाता हैं।

108 कार्तवीर्य नाम आहुति

1= ॐ कार्तवीर्यार्जुनाय नमः !! स्वाहा!!
2= ॐ सहस्रार्जुन नमः !! स्वाहा!!
3= ॐ सहस्रबाहुवे नमः !! स्वाहा!!
4= ॐ अर्जुनायै नमः !! स्वाहा!!
5= ॐ खलद्वेशी नमः!! स्वाहा!!
6= ॐ सुतोवली नमः!! स्वाहा!!
7= ॐ शत्रुघ्नो नमः !! स्वाहा!!
8= ॐ रक्तवासाये नमः!! स्वाहा! !
9= ॐ धनुर्धराय नमः ! ! स्वाहा !!
10 = ॐ रक्तगंधायै नमः!! स्वाहा!!
11= ॐ रक्तमाल्यायै नमः !! स्वाहा!!
12= ॐ महाराजायै नमः !! स्वाहा!!
13= ॐ महिष्मतिपतये नमः!! स्वाहा!!
14= ॐ पृथ्वीपतये नमः!! स्वाहा!!
15= ॐ दत्तभक्तायै नमः!! स्वाहा!!
16= ॐ सप्तद्वीपाधिपतये नमः!! स्वाहा!!
17= ॐ सुदर्शनावताराय नमः!! स्वाहा!!
18= ॐ मनोरमापतये नमः!! स्वाहा!!
19= ॐ पुरागधांपतये नमः!! स्वाहा!!
20= ॐ दीप्तीमतिपतये नमः !! स्वाहा!!
21= ॐ वसुमतिपतये नम: !! स्वाहा!!
22= ॐ सुकृतिपतये नमः!! स्वाहा!!
23= ॐ मृगावतीपतये नमः !!स्वाहा!!
24= ॐ महिष्मती नाथायै नमः!! स्वाहा!!
25= ॐ करूणाकाराय नमः!! स्वाहा!!
26= ॐ विश्वरूपाय नमः!! स्वाहा!!
27= ॐ भाललोचनाय नमः!! स्वाहा!!
28= ॐ भारतभूषणायै नमः!! स्वाहा!!
29= ॐ जगद्धारायै नमः!! स्वाहा!!
30= ॐ जितेन्द्रियाय नमः!! स्वाहा!!
31 = ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः!! स्वाहा!!
32= ॐ कलानाथयै नमः!! स्वाहा!!
33= ॐ योगेश्वराय नमः!! स्वाहा!!
34= ॐ केशवाय नमः!! स्वाहा!!
35= ॐ कोशाधीशाय नमः!! स्वाहा!!
36= ॐ कल्याणगुणाय नमः!! स्वाहा!!
37= ॐ कान्तिमुखाय नमः!! स्वाहा !!
38= ॐ रक्तवर्णायै नमः!! स्वाहा!!
39= ॐ किकंणिभूषिताय नमः !!स्वाहा!!
40= ॐ कलानिधि नमः!! स्वाहा!!
41= ॐ कमलेशायै नमः!! स्वाहा!!
42= ॐ कुमारायै नमः!! स्वाहा!!
43= ॐ कमनीयदेहधारणाय नमः!! स्वाहा!!
44= ॐ खड्गधारायै नमः!! स्वाहा!!
45= ॐ अरिच्छेदनायै नमः!! स्वाहा!?
46= ॐ गूढ ज्ञानाय नमः!! स्वाहा!!
47= ॐ तन्त्र मन्त्र ज्ञानीय नमः !!स्वाहा!!
48= ॐ स्मृतिगामी नमः!! स्वाहा!!
49= ॐ चिरन्जीवायै नमः!! स्वाहा!!
50= ॐ वृषभाय नमः!! स्वाहा!!
51= ॐ नर्मदा केलिसन्त्तृप्ताय नमः !! स्वाहा !!
52= ॐ हैहयकुलेश्वराय नमःस्वाहा
53= ॐ शत्रुहन्ताय नमः !! स्वाहा!!
54= ॐ धर्माचरणाय नमः!! स्वाहा!!
55= ॐचिरकालराज्यभोगाय नमः!! स्वाहा !!
56= ॐ धनदेवाय नमः!! स्वाहा!!
57= ॐ दशाननकारावासयै नमः !!स्वाहा!!
58= ॐ सुकृति नमः !!स्वाहा!!
59= ॐ धैर्यांय नमः !!स्वाहा!!
60= ॐ रिपुनाशायै नमः!! स्वाहा!!
61= ॐ अनष्टद्रव्याय नमः!! स्वाहा!!
62= ॐ भूपतिर्गोप्तायै नमः!! स्वाहा!!
63= ॐ भाग्यप्रकाशायै नमः!! स्वाहा!!
64= ॐ किरीटकुड्लधारायै नमः !!स्वाहा!!
65= ॐ वाहुवलाय नमः!! स्वाहा!!
66= ॐ कमलनेत्राय नमः!! स्वाहा!!
67= ॐ सर्वसुखप्रदानायै नमः !!स्वाहा!!
68= ॐ वाक्पटुतायै नमः!! स्वाहा!!
69= ॐ अरिमर्दनायै नमः!! स्वाहा!!
70= ॐ मनोरमाकान्तायै नमः !!स्वाहा!!
71= ॐ पातालपतये नमः!! स्वाहा!!
72= ॐ स्वर्णदानायै नमः!! स्वाहा!!
73= ॐ श्रेष्ठनराधिपायै नमः!! स्वाहा!!
74= ॐ दुर्गवासायै नमः!! स्वाहा!!
75= ॐ धर्मशास्त्रायै नमः!! स्वाहा!!
76= ॐ नरेश्वराय नमः!! स्वाहा!!
77= ॐ दीपप्रिय्यो नमः!! स्वाहा!!
78= ॐ वृषभअविष्कारायै नमः !!स्वाहा!!
79= ॐ पद्मभूषणायै नमः!! स्वाहा!!
80= ॐ नष्टदृब्यप्रदायकायै नमः!! स्वाहा!!*श
81= ॐ दूरदर्शाय नमः!! स्वाहा!!
82= ॐ अग्निहोत्र प्रिय्यो नमः !!स्वाहा!!
83= ॐ अन्नहोम प्रिय्यो नमः!! स्वाहा!!
84= ॐ आरोग्यकर्ता नमः!! स्वाहा!!
85= ॐ ऐश्वर्याधिपति नमः!! स्वाहा!!
86= ॐ खड्गधारी नमः!! स्वाहा!!*श
87= ॐ ख्यातिमानः नमः!! स्वाहा!!
88= ॐ गोत्रवृद्धिकरः नमः!! स्वाहा!!
89= ॐ चक्रधारीः नमः!! स्वाहा!!
90= ॐ चक्रभिचक्रवल्लभः नमः !!स्वाहा!!
*श91= ॐ दृव्यदाताः नमः!! स्वाहा!!*श
92= ॐ महाभयविनाशकाय नमः !!स्वाहा!!
93= ॐ हैहयाधिपतये नमः!! स्वाहा!!
94= ॐ हैहयकुल भूषणाय नमः !!स्वाहा!!
95=ॐ मनोरमावळ्ळभाय नमः !!स्वाहा!!
96=ॐ वसुमतिवळ्लभाय नमः !!स्वाहा!!
97=ॐ दीप्तिमतिवळ्ळभायै नमः !!स्वाहा!!
98= ॐ पुरागंधावळ्ळभायै नमः !!स्वाहा!!
99=ॐ सुकृति वळ्ळभायै नमः !!स्वाहा!!
100= ॐ मृगावतीवळ्ळभाय नमः !!स्वाहा!
101= ॐ कृतवीर्य नन्दनाय नमः !!स्वाहा!!
102= ॐ पद्मिनीनन्दनाय नमः !!स्वाहा!!
103= ॐ सरमादेवीनन्दनायै नमः !!स्वाहा!!
104= ॐ कृतबीर्यात्मजायै नमः !!स्वाहा!!
105= ॐ पद्मिनीसुतायै नमः!! स्वाहा!!
106 = ॐ चक्रवर्तीय नमः!! स्वाहा!!
107= ॐ अबधूतायै नमः!! स्बाहा!108= ॐ दत्तात्रेयपरमप्रियायै नमः !!स्वाहा!!

संकलन-अवधेश चौकसे

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