भारत का वो स्कूल, जहां बच्चों को सिखाई जाती है चोरी-डकैती, लाखों फीस भरते हैं मां-बाप
भारत का वो स्कूल, जहां बच्चों को सिखाई जाती है चोरी-डकैती, लाखों फीस भरते हैं मां-बाप
भारत का वो स्कूल, जहां बच्चों को सिखाई जाती है चोरी-डकैती, लाखों फीस भरते हैं मां-बाप
राजगढ़: आजतक आपने सुना होगा कि पेरेंट्स अपने बच्चों का शहर के सबसे अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाते हैं. पेरेंट्स अपने खून-पसीने की कमाई को जमा कर बच्चे का नाम अच्छे से अच्छे स्कूल में लिखवाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसे स्कूल के बारे में सुना है, जहां बच्चों को चोरी-डकैती की ट्रेनिंग दी जाती है? मध्यप्रदेश में कई ऐसे स्कूल सामने आए हैं, जहां खुद मां-बाप बच्चों को चोर बनाने के लिए ले जा रहे हैं।
भोपाल से एक सौ सत्रह किलोमीटर दूर राजगढ़ में तीन ऐसे गांव हैं, जहां बच्चों को क, ख, ग की जगह चोरी कैसे करते हैं और डाका कैसे डालते हैं, सिखाया जाता है. हम बात कर रहे हैं कड़िया, गुलखेड़ी और हुलखेड़ी नाम के गांव की. यहां बच्चों को बचपन से ही चोर, अपराधी बनाना सिखाया जाता है. सबसे ख़ास बात ये है कि इन सेंटर्स में बच्चों को खुद मां-बाप ले जाते हैं. साथ ही इसके बदले लाखों की फीस भी चुकाते हैं।
खुली है आपराधिक पाठशालाएं
इन गांवों में मौजूद कुख्यात अपराधी ये सेंटर्स चलाते हैं. कई अपराधियों के कई सेंटर्स हैं. पेरेंट्स अपराधी पर दर्ज मामलों की संख्या के आधार पर सबसे कुख्यात अपराधी के सेंटर का चुनाव करते हैं. सिखाने वाले के ऊपर जितने ज्यादा मामले दर्ज होते हैं, उनके सेंटर्स मां बाप को सबसे ज्यादा पसंद आते हैं. इन आपराधिक सेंटर्स पर बारह से तेरह उम्र के बच्चों का एडमिशन करवाया जाता है।
भरते हैं लाखों फीस
अगर आपको लगता है कि इन सेंटर्स पर यूं ही चोरी सिखाई जाती है तो आप गलत हैं. यहां बाकायदा पेरेंट्स से फीस ली जाती है. परिवार अपने बच्चे को चोर, डाकू और ठग बनाने के लिए दो से तीन लाख फीस भरते हैं. इन सेंटर्स पर जेब काटना, बैग छीनना, पुलिस को चकमा देना और यहां तक कि उनकी पिटाई को सहना भी सिखाया जाता है. एक साल की ट्रेनिंग के लिए तीन से पांच लाख फीस भी ली जाती है।