बच्चे की गवाही ने पलटा पूरा केस, कोर्ट ने किया एकपक्षीय तलाक रद्द

रिपोर्टर शैलेंद्र गुप्ता
बैतूल: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आमला के अपर जिला न्यायाधीश ने एक दंपती के एकपक्षीय तलाक को निरस्त कर दिया। पति-पत्नी के बीच रिश्ते में आई दरार के बाद मामला अदालत तक पहुंचा, लेकिन उनके बच्चे की गवाही ने पूरे केस की दिशा ही बदल दी।
प्रेम विवाह से कोर्ट तक का सफर
2013 में प्रेम विवाह करने वाले इस दंपती ने शुरुआती छह महीने बड़े शहर में बिताए, लेकिन गांव लौटने के बाद उनके रिश्ते में तनाव बढ़ने लगा। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे, जिसके बाद पत्नी ने क्रूरता, घरेलू हिंसा, शराब सेवन, और परिवार के प्रति लापरवाही का आरोप लगाकर तलाक की अर्जी दाखिल कर दी।
इसके जवाब में पति ने भी पत्नी पर कुछ आरोप लगाए। सुनवाई के दौरान पति बीमार होने के कारण कोर्ट में पेश नहीं हो सका, जिसके चलते अदालत ने एकपक्षीय तलाक को मंजूरी दे दी।
बच्चे की गवाही ने बदल दी कहानी
तलाक के फैसले को पति ने कोर्ट में चुनौती दी, यह कहते हुए कि वह पत्नी के साथ दांपत्य जीवन बिताना चाहता है। दंपती का बच्चा पिता के साथ रह रहा था और कोर्ट में उसने बयान दिया कि जब भी वह मां से मिलने जाता, उसे मिलने नहीं दिया जाता था।
बच्चे की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए और यह देखते हुए कि पत्नी अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकी, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह मामला क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता। अंततः, एकपक्षीय तलाक को रद्द कर दिया गया।
न्यायालय का दृष्टिकोण
कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवादों में बच्चों की भावनाओं को भी महत्व दिया जाना चाहिए। यह फैसला दंपती को अपने रिश्ते को पुनः संवारने का एक और मौका देता है।