
मुख्य बिंदु:
- एक ही गोत्र में प्रेम करने पर प्रेमी-जोड़े को दी गई अमानवीय सजा
- हल की रस्सी गले में बांधकर खेत जुतवाया गया
- गांव की देवी की पूजा के बाद लिया गया “सामाजिक निर्णय”
- लाठी-डंडों से पीटकर गांव से निकाला गया
- पुलिस मौके पर, घटना की जांच जारी
रायगढ़ा (ओडिशा)। ओडिशा के कल्याण सिंहपुर प्रखंड के कंजामयोजी गांव में प्रेमी-प्रेमिका के साथ अमानवीयता की हदें पार कर दी गईं।
एक ही गोत्र में प्रेम संबंध रखने के आरोप में ग्रामीणों ने दोनों को बैल की तरह खेत में हल जोतने को मजबूर किया और फिर लाठी-डंडों से पीटकर गांव से बाहर निकाल दिया।
इस बर्बरता का वीडियो वायरल हो चुका है, जिसने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है।
गोत्र के नाम पर सामाजिक क्रूरता
ग्रामीणों के अनुसार, दोनों युवक-युवती एक ही गोत्र के थे, और आदिवासी रीति-रिवाजों में ऐसा प्रेम “भाई-बहन के समान” माना जाता है।
ग्रामीणों ने देवी की पूजा कर पंचायत की बैठक बुलाई, जिसमें प्रेमी जोड़े को “परंपरा तोड़ने की सजा” के रूप में
- हल की रस्सी गले में बांधकर खेत में हल चलवाया
- सार्वजनिक रूप से अपमानित किया
- और फिर लाठी-डंडों से पीटकर गांव से निकाल दिया
अब दोनों कहां हैं, कोई नहीं जानता
इस अमानवीय सजा के बाद प्रेमी-जोड़ा गांव छोड़कर फरार है।
थाना प्रभारी नीलकंठ बेहरा के अनुसार,
“घटना की जानकारी मिलते ही हम गांव पहुंचे हैं। पुलिस जांच जारी है। वीडियो की सत्यता और दोषियों की पहचान की जा रही है।”
कानून बनाम परंपरा
यह मामला स्पष्ट रूप से मानवाधिकार और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है।
भारत में संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को प्रेम और विवाह की स्वतंत्रता दी गई है।
ऐसे में किसी भी सामाजिक परंपरा या पंचायत को इस प्रकार का न्याय करने का कोई अधिकार नहीं है।निष्कर्ष:
कंजामयोजी गांव की यह घटना एक गंभीर सामाजिक चेतावनी है कि आज भी देश के कुछ हिस्सों में
- परंपरा के नाम पर अमानवीयता
- पंचायत के नाम पर गुंडागर्दी
- और गोत्र के नाम पर मानवाधिकारों की हत्या
हो रही है।
अब देखना यह है कि ओडिशा प्रशासन और पुलिस इस मामले में कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करती है।