गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

ओशो लीला आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर ध्यान शिविर का आयोजन, सद्गुरु ओशो को किया स्मरण

व्हाइट रोप ब्रदरहुड सत्संग में ओशो सन्यासियों ने महसूस की सद्गुरु की उपस्थिति

गाडरवारा (नरसिंहपुर)।
स्थानीय ओशो लीला आश्रम में 10 जुलाई गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर तीन दिवसीय विशेष ध्यान शिविर का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। इस ध्यान शिविर का संचालन स्वामी ध्यान आकाश के सान्निध्य में ओशो की विभिन्न ध्यान विधियों के माध्यम से किया गया। शिविर में देश-विदेश से आए ओशो सन्यासियों और प्रेमियों ने भाग लिया और सद्गुरु ओशो की उपस्थिति का गहन अनुभव किया।

ओशो की उपस्थिति का अनुभूत हुआ एहसास

गुरु पूर्णिमा के दिन आश्रम में सुबह से लेकर शाम तक ध्यान और साधना का विशेष वातावरण रहा। ओशो की मौलिक ध्यान विधियों के साथ सभी साधकों ने दिनभर विभिन्न ध्यान गतिविधियों में हिस्सा लिया। संध्या काल में आयोजित व्हाइट रोप ब्रदरहुड सत्संग आश्रम का प्रमुख आकर्षण रहा, जिसमें संन्यासियों ने भजन, कीर्तन, नृत्य और ओशो प्रवचन श्रवण करते हुए अपने सद्गुरु ओशो की उपस्थिति को गहराई से महसूस किया।

ओशो लीला आश्रम के मीडिया प्रभारी स्वामी राजेश नीरस ने जानकारी देते हुए बताया कि सद्गुरु ओशो ने अपने जीवनकाल में अपने संन्यासियों से कहा था—
“मेरे इस शरीर के विदा हो जाने के बाद भी, संध्या के समय जब भी व्हाइट रोप ब्रदरहुड सत्संग में आप एकत्रित होंगे, मेरी उपस्थिति सदैव आपके मध्य बनी रहेगी।”

इसी प्रेमपूर्ण परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आश्रम में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह विशेष सत्संग आयोजित किया गया।

ध्यान, भजन, कीर्तन और आनंद की बौछार

संध्याकालीन सत्संग में ओशो के मधुर प्रवचनों की माला, ध्यान, संगीतमय भजन-कीर्तन और मुक्त नृत्य के माध्यम से ओशो सन्यासियों ने उत्सव और आनंद की गहराइयों को स्पर्श किया। हर एक साधक ने अहोभाव और कृतज्ञता के साथ सद्गुरु ओशो का स्मरण किया और उनकी उपस्थिति का रसपान किया।

देश-विदेश से पहुंचे ओशो प्रेमी

इस अवसर पर गाडरवारा के अलावा विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में ओशो सन्यासी और प्रेमी उपस्थित हुए। सभी ने मिलकर गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व को ओशो की ध्यान-विधियों और सत्संग के माध्यम से मनाया। पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्सव की झलक दिखाई दी।

ओशो का संदेश— गुरु केवल उपस्थिति है

ओशो के विचारों के अनुसार गुरु केवल एक देह नहीं, बल्कि एक उपस्थिति, एक जागरूकता है। इस भाव को ध्यान शिविर में उपस्थित प्रत्येक साधक ने महसूस किया और ओशो के प्रति अपने प्रेम और कृतज्ञता को व्यक्त किया।

मुख्य बिंदु संक्षेप में:

  • गाडरवारा ओशो लीला आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर तीन दिवसीय ध्यान शिविर।
  • स्वामी ध्यान आकाश के निर्देशन में ओशो की ध्यान विधियों का अभ्यास।
  • संध्या काल में व्हाइट रोप ब्रदरहुड सत्संग का आयोजन।
  • भजन, कीर्तन, नृत्य और ओशो प्रवचन श्रवण के माध्यम से ओशो की उपस्थिति का गहन अनुभव।
  • देश-विदेश से आए ओशो सन्यासियों की सहभागिता।
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