अधूरे फोरलेन पर टोल टैक्स वसूली के खिलाफ 29 गांवों के ग्रामीणों का प्रदर्शन, पेसा एक्ट के उल्लंघन का आरोप
ग्रामीणों ने दी चेतावनी— तीन दिन में समाधान नहीं मिला तो होगा बड़ा आंदोलन

संवाददाता शैलेंद्र गुप्ता शाहपुर
शाहपुर (बैतूल)।
शाहपुर विकासखंड के कुंडी गांव में स्थित नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर सोमवार को 29 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर टोल टैक्स वसूली के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि अधूरे फोरलेन पर टोल टैक्स की वसूली तत्काल प्रभाव से बंद की जाए और पेसा एक्ट का पालन सुनिश्चित करते हुए टोल प्लाजा को वैध प्रक्रिया के तहत संचालित किया जाए।
क्या है मामला?
दरअसल, बैतूल-इटारसी मार्ग पर कुंडी गांव के समीप स्थित टोल प्लाजा से गुजरने वाले ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए कई बार भारी-भरकम टोल टैक्स देना पड़ रहा है। फोरलेन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, इसके बावजूद टोल वसूली जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि इससे आम लोगों और खासकर किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
पंचायत से नहीं ली गई अनुमति— पेसा एक्ट का उल्लंघन
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि शाहपुर ब्लॉक पांचवीं अनुसूची में शामिल है, जहां पेसा एक्ट लागू है। इसके तहत किसी भी परियोजना या निर्माण के लिए ग्राम पंचायत की अनुमति अनिवार्य होती है। लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी और टोल प्लाजा कंपनी ने कुंडी पंचायत से कोई अनुमति नहीं ली है और अवैध रूप से टोल प्लाजा संचालित किया जा रहा है।
ग्रामीणों की समस्याएं— छोटी-छोटी बातों पर देना पड़ रहा है टैक्स
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जैसे गाड़ी की पंक्चर बनवाने, बाजार जाने या खेती-बाड़ी के काम के लिए कई बार इस टोल से गुजरना पड़ता है। इस दौरान बार-बार टोल टैक्स देना पड़ता है, जिससे ग्रामीणों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। कई बार तो पंक्चर बनाने के काम की तुलना में सौ गुना ज्यादा खर्च टोल टैक्स में देना पड़ता है।
यह हैं प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें—
- जब तक फोरलेन का निर्माण पूरा नहीं होता, टोल टैक्स वसूली रोकी जाए।
- पेसा एक्ट के तहत ग्राम पंचायत की अनुमति ली जाए।
- 20 किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों के ग्रामीणों को टोल टैक्स से छूट दी जाए।
- तीन दिन के भीतर सकारात्मक निर्णय लिया जाए अन्यथा बड़े आंदोलन की चेतावनी।
तीसरा आंदोलन— बढ़ता आक्रोश
यह कुंडी टोल प्लाजा के खिलाफ ग्रामीणों का तीसरा आंदोलन है। इससे पहले भी दो बार ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि तीन दिन के भीतर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे इस आंदोलन को और व्यापक और उग्र रूप देंगे।
क्या कहते हैं किसान और ग्रामीण?
प्रदर्शन में शामिल किसान गंगाराम बिसेन ने बताया कि, “हम ग्रामीण रोजाना कई बार इस टोल से गुजरते हैं, और हर बार टैक्स देना पड़ता है। फोरलेन अभी पूरा नहीं हुआ फिर भी हमसे जबरन वसूली की जा रही है। यह सरासर अन्याय है।”
वहीं एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि, “पेसा एक्ट हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए है लेकिन हमारे गांव से बिना अनुमति के टोल प्लाजा चलाया जा रहा है। यह कानून का उल्लंघन है और हमारी पंचायत की अवहेलना भी।”
आगे क्या?
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और नेशनल हाईवे अथॉरिटी को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि तय समय सीमा में उनकी मांगों पर समाधान नहीं किया गया तो वे कुंडी टोल प्लाजा पर बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- अधूरे फोरलेन पर टोल टैक्स वसूली के खिलाफ 29 गांवों के ग्रामीणों का सांकेतिक प्रदर्शन।
- पेसा एक्ट के उल्लंघन और पंचायत से अनुमति न लेने का आरोप।
- 20 किमी के दायरे के गांवों को टोल टैक्स से छूट की मांग।
- समाधान नहीं मिलने पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी।