हंसी मजाक करने वाले अलीम बाबा नहीं रहे

गाडरवारा। हमेशा लोगों से हंसकर बोलना,खिलखिलाना, मजाक करना और फिर उसके किसी भी तरह के सहयोग के लिए तत्पर रहना… कुछ ऐसी ही विशेषताएं थी अलीम बाबा में। हां यह वही बाबा है,जो कामथ कंपलेक्स पानी की टंकी के मुख्य मार्ग पर उपलब्ध रहते थे।अलीम बाबा की जान पहचान जिस किसी भी शख्स से होती थी, वह उसे बहुत नजदीक से जानने लगता थे।अलीम बाबा अब हमारे बीच नहीं रहे।वह इस दुनिया को छोड़कर चले गये। दुनिया से रुखसती की ये खबर जिस किसी ने भी सुनी, वह हैरत में आ गया।लक्कड़कोट कामथ वार्ड मस्जिद क्षेत्र मुख्यतः मुस्लिम क्षेत्र है। वहां अलीम निवास करते थे एक समय था,जब यहां मीडिया की भी पहुंच नहीं हो पाती थी।उस समय अलीम मीडिया के लिए एक ऐसा जरिया होता था, जहां से आसपास की जानकारी जुटाई जा सकती थी।एक समय था,जब न तो सोशल मीडिया का चलन था और ना ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का।सिर्फ और सिर्फ प्रिंट मीडिया का बोलबाला था। तब बाबा से जागरूक लोग चर्चा के लिए एकत्रित होते रहते थे।1971 में पिता स्वर्गीय हुसैन वक्स मित्री के घर पैदा हुए अलीम बॉक्स लंबे समय तक संघर्षमय जीवन व्यतीत करते रहे।अलीम अपने 6 बहनों में एक भाई थे।अलीम बाबा लोगों की बीमार व्यक्ति की भरपूर सहयोग करते थे। बाबा की बड़ी बहन का कहना है कि तबीयत हमेशा ठीक रहती थी।गुरुवार तथा शुक्रवार की दर्मयानी रात11बजे भोजन कर वह यह कहकर सोए आज हमारी तबीयत ठीक नहीं लग रही। रात्रि 12:00,12:30 लगभग अचानक घबराहट हुई और वह बिस्तर से उठ गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां भर्ती करने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी ओर उन्होंने अंतिम सांस ली चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।अलीम बाबा को स्थानीय कब्रिस्तान में शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद सुपुर्दे खाक किया गया।