गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

17 लाख की गड़बड़ी के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई, सहकारी समिति कर्मचारी पर विभाग मेहरबान, ब्रजेश माधव पांडे का तबादला कर नई जिम्मेदारी दी, लेकिन न तो वसूली हुई, न ही सजा

गाडरवारा। सहकारी विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर कटघरे में है। सालीचौका क्षेत्र की इमलिया पिपरिया सहकारी समिति में पदस्थ प्रबंधक ब्रजेश माधव पांडे पर लगभग 17 लाख रुपये की आर्थिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी वित्तीय गड़बड़ी सामने आने के बावजूद विभाग ने कोई कठोर कार्रवाई नहीं की। उलटे उन्हें नादनेर में बैंकिंग सहायक के पद पर तबादला कर नई जिम्मेदारी सौंप दी गई है।

जांच में उजागर हुई लाखों की अनियमितता

मामला 27 दिसंबर 2024 का है, जब चीचली शाखा प्रबंधक द्वारा इमलिया समिति की जांच की गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि:

  • अमाड़ा ग्राम के केसीसी खातों में ₹13,02,102.38 की राशि जमा नहीं की गई।
  • कृषक फूलो बाई के खाते से ₹20,000 की गड़बड़ी पाई गई।
  • धान-गेहूं खरीदी में भी व्यापक अनियमितताएं सामने आईं।

जांच प्रतिवेदन में कुल मिलाकर ₹17 लाख से अधिक की गड़बड़ी पाई गई।

चार्ज हटाने का आदेश भी रह गया कागज़ों तक

जांच के बाद 25 जनवरी 2025 को विभाग ने आदेश जारी कर ब्रजेश पांडे से प्रभार हटाने और रामशंकर कौरव को नया प्रबंधक नियुक्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन यह आदेश कभी भी अमल में नहीं लाया गया। इससे विभागीय गंभीरता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

तबादला कर दी गई जिम्मेदारी, लेकिन कार्रवाई नहीं

अब हालिया आदेश में ब्रजेश पांडे को नादनेर में बैंकिंग सहायक बना दिया गया है, जिससे यह साफ प्रतीत होता है कि विभाग ने सजा की जगह उन्हें पदोन्नति जैसी सुविधा दे दी है।

प्रश्न खड़े कर रहे स्थानीय लोग

स्थानीय किसानों और सामाजिक संगठनों में इस बात को लेकर रोष है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी के बावजूद ब्रजेश पांडे पर विभाग मेहरबानी क्यों कर रहा है? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक संरक्षण या विभागीय सांठगांठ है?

कई अनुत्तरित सवाल

  • क्या ₹17 लाख की राशि की वसूली की गई?
  • क्या अन्य वित्तीय गड़बड़ियों की जांच की गई?
  • क्या ऐसे आरोपी अधिकारी को किसानों से जुड़ी नई जिम्मेदारी सौंपना उचित है?

निष्कर्ष:

यह मामला सिर्फ एक कर्मचारी की गड़बड़ी नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। अब देखना होगा कि क्या विभाग इस पूरे मामले में पारदर्शिता और सख्ती दिखाता है या एक बार फिर इसे फाइलों में दफन कर दिया जाएगा।

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