मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही: 2024 में दिवंगत शिक्षक को 2025 में दी गई बोर्ड कॉपी जांचने की जिम्मेदारी!

छतरपुर: मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की लापरवाही का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। एक दिवंगत शिक्षक को बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने और प्रशिक्षण में शामिल होने का आदेश जारी कर दिया गया। जब शिक्षक ड्यूटी पर नहीं पहुंचे, तब यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
छतरपुर जिले के हाई स्कूल सिमरिया में चंद्रप्रकाश तिवारी बतौर प्राचार्य कार्यरत थे। वह जीव विज्ञान के शिक्षक भी थे। 13 दिसंबर 2024 को उनका निधन हो चुका था, लेकिन मार्च 2025 में शिक्षा विभाग ने उन्हें उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंप दी।
इतना ही नहीं, 16 मार्च को उन्हें शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए भी बुलाया गया। जब वह प्रशिक्षण में शामिल नहीं हुए, तो अन्य शिक्षकों ने हंगामा कर दिया। जांच हुई, तब यह चौंकाने वाली लापरवाही उजागर हुई।
अधिकारियों की सफाई और कार्रवाई
मामला उजागर होने के बाद प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी आर.पी. प्रजापति ने गलती स्वीकार करते हुए कहा,
“यह मामला संज्ञान में आया है। दिवंगत शिक्षक का नाम सूची से हटा दिया गया है। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।”
हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
- कैसे संभव है कि दिवंगत शिक्षक आज भी रिकॉर्ड में जीवित हैं?
- क्या मूल्यांकन प्रक्रिया में शिक्षकों की सूची अपडेट नहीं की जाती?
- क्या शिक्षा विभाग बिना जांच-पड़ताल के आदेश जारी करता है?
जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
इस लापरवाही से न सिर्फ छतरपुर, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। शिक्षक संगठनों और आम जनता ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।