गाडरवाराभोपालमध्य प्रदेशराज्य

गाडरवारा को जिला बनाने की मांग ने पकड़ी रफ्तार

गाडरवारा को जिला बनाने की मांग ने पकड़ी रफ्तार

Gadarwara Jila Banao: गाडरवारा तहसील को जिला बनाने की मांग वर्षों से स्थानीय जनता के दिलों में है। यह क्षेत्र, जो अपनी कृषि, व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है, जिला बनने की सभी योग्यताएं रखता है। हाल के दिनों में यह मांग फिर से चर्चा का विषय बन गई है। स्थानीय लोगों, अधिवक्ताओं और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि गाडरवारा जिला बनने से इस क्षेत्र का अभूतपूर्व विकास होगा।

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गाडरवारा: आर्थिक और भौगोलिक मजबूती

गाडरवारा तहसील, नरसिंहपुर जिले का हिस्सा है और जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है। यह क्षेत्र राजस्व के लिहाज से जिले की सबसे बड़ी तहसील है। यहां मौजूद सुविधाओं और संसाधनों ने इसे जिला बनने का मजबूत दावेदार बनाया है:

1. व्यवसाय और उद्योग:

एनटीपीसी जैसी बड़ी परियोजना।

शुगर मिल, दाल मिल, और राइस मिल जैसे उद्योग।

कोयला खदान और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां।

2. कृषि प्रधान क्षेत्र:

यह क्षेत्र उच्च कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है।

कृषि आधारित उद्योगों के विकास की संभावनाएं।

3. परिवहन और आधारभूत संरचना:

रेलवे सुविधा और बस स्टैंड।

पुलिस थाने, स्वास्थ्य केंद्र, और नगर परिषद की उपस्थिति।

4. पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व:

ओशो क्रीड़ा स्थली,आचार्य महेश योगी की जन्मस्थली, छोटा जबलपुर, चौगान किला, जैसे प्रसिद्ध स्थान।

प्रस्तावित जिला: संभावित ढांचा

गाडरवारा उपखंड में वर्तमान में दो तहसीलें – गाडरवारा और साईखेड़ा – शामिल हैं। इसमें 174 पटवारी हल्के और लगभग 239 गांव आते हैं। चार नगर परिषद – गाडरवारा, सालीचौका, चीचली और साईखेड़ा – के साथ छह पुलिस थाने भी इस क्षेत्र में हैं।

संभावित विस्तार

यह सुझाव दिया जा रहा है कि नर्मदापुरम जिले की बनखेड़ी और रायसेन जिले की उदयपुरा तहसील को गाडरवारा जिले में शामिल किया जाए। इससे इन क्षेत्रों में भी प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों को गति मिलेगी।

नेतृत्व की चुनौती और राजनीतिक गतिरोध

गाडरवारा को जिला बनाने की मांग कई बार उठाई जा चुकी है। पूर्व में विधायक साधना स्थापक और अधिवक्ता बसंत तपा ने इस मांग को प्रमुखता से उठाया था। नरसिंहपुर प्रवास के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने भी यह मुद्दा रखा गया था। मौजूदा विधायक सुनीता पटेल और अन्य नेताओं ने भी इस विषय पर प्रयास किए हैं, लेकिन परिणाम नहीं मिले।

अब क्षेत्रीय जनता की उम्मीदें कैबिनेट मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से हैं। लोगों को विश्वास है कि अगर वे इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएं, तो यह मांग सरकार तक प्रभावी ढंग से पहुंचाई जा सकती है।

अधिवक्ताओं का समर्थन

गाडरवारा अधिवक्ता संघ ने सर्वसम्मति से गाडरवारा को जिला बनाने का प्रस्ताव पारित किया है। संघ ने आगामी बैठकों में इस मांग को व्यापक स्तर पर ले जाने और रणनीति बनाने की बात कही है। यह समर्थन इस आंदोलन को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा सकता है।

जिला बनने के फायदे

1. प्रशासनिक सुगमता:
गाडरवारा के आसपास के गांवों और नगरों के लोगों को जिला मुख्यालय की दूरी से राहत मिलेगी।

2. विकास कार्यों को बढ़ावा:
जिला बनने से बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होगा, जिसमें सड़कों, स्कूलों, और अस्पतालों की सुविधाएं शामिल हैं।

3. स्थानीय व्यापार और रोजगार:
उद्योग और व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

4. सामाजिक-आर्थिक सुधार:
गाडरवारा और इसके आसपास के क्षेत्रों का आर्थिक और सामाजिक स्तर ऊंचा होगा।

जनता का आह्वान

गाडरवारा की जनता अब इस मुद्दे पर एकजुट होने लगी है। लोग मांग कर रहे हैं कि सभी राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि इस विषय पर साथ आएं। क्षेत्रीय विकास के लिए गाडरवारा को जिला बनाना अनिवार्य है।

अब देखना यह होगा कि सरकार और स्थानीय नेतृत्व इस मांग को कब और कितना महत्व देता है। जनता को उम्मीद है कि यह सुगबुगाहट जल्द ही एक बड़े आंदोलन में तब्दील होगी और गाडरवारा का सपना साकार होगा।

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