विदेशी नौकरी छोड़ वैराग्य के पथ पर चले जैन जुड़वा मुनि, गाडरवारा में किया धर्मशाला का लोकार्पण

गाडरवारा: बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर केवल नौकरी ही की जाती है या विदेश जाकर पैसा कमाया जाता है ऐसा नहीं है, गाडरवारा नगर में जैन संप्रदाय के दो यमल मुनियों का आगमन हुआ है जो की जुड़वा भाई हैं और उनके बीच मात्र 30 मिनट का अंतर है एक ने तो बी. फार्मेसी व एमबीए किया है, और दूसरे ने एम. काम. एम बी ए व सी ए किया हुआ है इतनी बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने के बाद व विदेश से बड़े पैकेज की नौकरी छोड़कर वापस अपने घर संसार को त्याग कर मात्र 25 वर्ष व 28 वर्ष की उम्र में वैराग्य के पथ पर चलने का संकल्प लेने वाले यमल मुनि का कल नगरागमन हुआ ।
आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य मुनि श्री 108 आस्तिक सागर जी महाराज वह मुनि श्री 108 प्रणीत सागर जी महाराज ने नगर के सभी जिनालयो का दर्शन करते हुए वीर विद्यानिलय में पहुंचकर प्रथम मंजिल में नवनिर्मित सात कमरों का लोकार्पण अपनी उपस्थिति में धर्मशाला की सभी दानदाताओं के समक्ष सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष जिनेश जैन से फीता कटवाकर लोकापर्ण करवाया।
अध्यक्ष जिनेश जैन ने बताया कि मुनिदॄय का आगमन समाज के सभी लोगों के लगातार प्रयास का नतीजा है कि एक लंबे अंतराल के बाद किसी जैन संत का नगर आगमन हुआ है इससे पूरी जैन समाज में अत्यंत प्रसन्नता व्याप्त है जैन सभा को संबोधित करते हुए मुनि दृय संतभवन की प्रथम मंजिल पर 7 कमरों के निर्माण में आर्थिक सहयोग देने वाले श्री जिनेश जैन हीरा ज्वेलर्स , राजेश जैन शिक्षक, संजीव जैन मेडिकल , अजय जैन डोभी वाले, मनोज बसा (आदिशक्ति) डॉ. ओ पी नायक एवं एडवोकेट राजकुमार जैन के दान की एवं निर्माण कार्य के दौरान आर्थिक सहयोग करने वाले हेमंत शाह व मुकेश जैन थाला वालों की भी प्रशंसा करते हुए कहा की वर्तमान काल में तो मानव अपने लिए तो एक से बढ़कर एक सर्वश्रेष्ठ भवनों का निर्माण कर लेता है परंतु बिरले ही लोग होते हैं जो समाज के हित में संतो के प्रवासकाल में रुकने के लिए धर्मशालाओं का निर्माण कार्य में अपना धन का उपयोग करते हैं
कार्यक्रम में मंगलाचरण श्रीमती रुचि जैन ने किया एवं जैन समाज के सचिव राजेश जैन ने मुनीदॄय की समक्ष श्रीफल अर्पित करते हुए समाज के हित में लंबे समय तक प्रवास करने का अनुरोध किया।