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तीन सडकें… जो अपने दायरे में दरों को ही नहीं, 3 हजार दिलों को भी जोड़ रही हैं…

तीन सडकें... जो अपने दायरे में दरों को ही नहीं, 3 हजार दिलों को भी जोड़ रही हैं...

सफलता की कहानी

तीन सडकें… जो अपने दायरे में दरों को ही नहीं, 3 हजार दिलों को भी जोड़ रही हैं…

परसवाड़ा बालाघाट । दूर तक घना जंगल। बिखरे-बिखरे से गांव। गर कहीं जाना हो, तो अगले दिन सूरज उगने का इंतजार करना पड़ता था, क्योंकि शाम हो जाने के बाद तो घर से निकलना मुश्किल था। एक तो बियाबान कच्चा रास्ता, घुप्प अंधेरा, डरावना सा जंगल और उसमें रहने वाले जंगली जानवरों का भी खौफ। शाम और रात को अपने घरों में बंद हो जाना ही उनका जीवन था। यही पीढ़ा थी, उन बैगा परिवारों की, जो बालाघाट जिले के परसवाड़ा ब्लॉक के सुदूरस्थ छोटे-छोटे गांवों और मंजरे टोलो में रहते थे।

पर अब इनके दिन वैसे नहीं रहे। बिखरे-बिखरे से गांवों को जोड़ने के लिये 3 सड़कें इन बैगा परिवारो के जीवन में एक नया उजाला लेकर आईं। बैगा समुदाय विशेष रूप से पिछड़े और कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) में आते हैं। इसलिए उनकी बसाहट क्षेत्र में पीएम जन-मन योजना से कई विकास कार्य हो रहे हैं। बालाघाट जिला पीएम जन-मन में शामिल है। यहां के परसवाड़ा ब्लॉक में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से 3 सड़कें बनाई गई हैं। नाटा से पांडाटोला (4.85 किमी), बड़गांव से साल्हे (4.50 किमी) और पांडाटोला से बीजाटोला (0.811 किमी), यही वो 3 सड़कें (कुल लंबाई 10.16 किमी) हैं (जो पहले पगडंडिया हुआ करती थीं), इन्होंने बैगा परिवारों के कष्टमय सफर को अब आसान बना दिया। इसमें पांडाटोला से बीजाटोला तक बनी 811 मीटर सड़क पीएम जन-मन योजना में रिकार्ड 164 दिनों में हुई। इसका निर्माण इसी साल 16 मार्च को शुरू हुआ था और 26 अगस्त को काम पूरा हो गया। यह पीएम जन-मन योजना से बनी संभवत: देश की ऐसी पहली सड़क है, जिसका सीधा लाभ पीवीटीजी के बैगा परिवारों को मिल रहा है।

इन 3 सड़कों से क्षेत्र के 30 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले 3 हजार से अधिक बैगा परिवार अब हर वक्त, हर घड़ी, हर मौसम में एक-दूसरे से जुड़ गये हैं। एक रोड बनने से विकास के कई द्वार खुल जाते हैं। इन सड़कों के बनने से क्षेत्र के सारे बैगा परिवार अपने ब्लॉक, जिले, राज्य के साथ पूरे देश से जुड़ गये हैं।

सड़क एक – फायदे अनेक

ये सड़कें जिन गांवो में बनी हैं, उसके दायरे में आने वाले कई मजरे-टोले हैं, जो इनका उपयोग कर रहे हैं। यह सड़कें डोरली, चकटोला, कातलाबोडी, टिकरिया, कूकड़ा, उरूरगुड्डा, बारिया, डंडईटोला, मोहर, नारवाड़ी सहित घने जंगलों के बीच बसे बैगा परिवारों के लिए विकास का नया रास्ता खोल रही हैं। करीब 30 किमी के दायरे में रहने वाले करीब 3 हजार से अधिक बैगाजन अब सरकारी राशन दुकानों से राशन पा रहे हैं। इन्हीं सड़कों का लाभ लेकर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। लोग बाजार जा रहे हैं। किसान मंडी तक पहुंच रहे हैं। मरीजों को अस्पताल और पास के बड़े कस्बे तक आने-जाने की भी बड़ी सुविधा इन बारहमासी सड़कों के बनने से मुहैया हो गयी हैं।

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