संघर्षों को मात देकर बनी मिसाल: आदिवासी छात्रा राधा गोंड़ बनीं सहायक प्राध्यापक, बिना कोचिंग सरकारी स्कूल से की पूरी पढ़ाई

गाडरवारा, 24 मई 2025: “सपने सच होते हैं, बस हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।” इस कहावत को सच कर दिखाया है ग्राम जमाड़ा की आदिवासी बिटिया कुमारी राधा गोंड़ ने, जिनका चयन मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2022 में इतिहास विषय के लिए हुआ है।
राधा गोंड़ का चयन उच्च शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर हुआ है। परीक्षा की लिखित प्रक्रिया 9 जून 2024 को हुई थी, जिसका परिणाम 25 सितंबर 2024 को घोषित हुआ। इसके बाद 17 से 21 फरवरी 2025 के बीच साक्षात्कार प्रक्रिया हुई और 23 मई 2025 को फाइनल चयन सूची में राधा का नाम सामने आया।
संघर्षों से भरी जीवन यात्रा
राधा के जीवन की कहानी सिर्फ परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। कोरोना काल में उनके पिता स्व. हुकुमचंद ठाकुर का असमय निधन हो गया। इसके बाद भी राधा ने हार नहीं मानी।
वह आज भी अपने परिवार—मां, दादी, भाई-बहन, चाचा-चाची के साथ गांव से एक किलोमीटर दूर खेत पर बने घर में रहती हैं। बरसात के मौसम में कीचड़ और रास्ते की कठिनाई के बावजूद राधा ने कभी शिक्षा से समझौता नहीं किया। सबसे खास बात—उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली और पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूलों से की।
राधा बनीं आदिवासी समाज की प्रेरणा
राधा का यह चयन केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि समस्त आदिवासी समाज और ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। राधा ने साबित किया कि सीमित संसाधनों के बावजूद अगर संकल्प मजबूत हो, तो सफलता ज़रूर मिलती है।
गांव के वरिष्ठजन और समाजसेवियों ने भी राधा की इस उपलब्धि पर गर्व जताया और बधाइयों का तांता लगा।
बधाई देने वालों में शामिल हैं:
देवराज गुर्जर जमाड़ा ,मोहरकांत सिंह पटेल,विश्वनाथ सिंह पटेल, रिटायर्ड डीएसपी बलवंत सिंह गुर्जर,राजाभैया मड़वार,राजेश गुर्जर जमाड़ा,राहुल गुर्जर,मानक सिंह ठाकुर ,शिवराज सिंह मड़वार,वसंत ठाकुर,रोहित सिंह,धर्मेंद्र सिंह साहू,गिरिराज सिंह, कीर्तिराज सिंह,श्रीराज गुर्जर सचिव इजाज खान आदि शुभ चिंतको ने बधाइयां एवं शुभकामनाएं प्रेशित की है ।
निष्कर्ष:
राधा की सफलता न केवल उनके परिवार और गांव के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। यह कहानी उन हर लड़की को समर्पित है जो सपने देखती है और उन्हें पाने की जिद रखती है।
राधा जैसी बेटियां ही हैं, जो समाज को आगे ले जाती हैं—संघर्षों के बीच उम्मीद की एक नई रौशनी बनकर।