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RSS प्रमुख बोले- देश में अच्छे-बुरे के जिम्मेदार हिन्दू:क्योंकि वही राष्ट्र के कर्ताधर्ता; नई पीढ़ी संस्कार भूल रही, यह चिंता का विषय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं। उन्होंने हिन्दू धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा- जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को लेकर भी चिंता जताई। कहा- देश में परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। यह चिंता का विषय है। संघ कार्य के 100 साल पूरे हो रहे
संघ प्रमुख भागवत 5 दिन के अलवर प्रवास पर हैं। नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम के पहले दिन रविवार (15 सितंबर 2024) को इंदिरा गांधी स्टेडियम में स्वयंसेवकों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा- अगले साल संघ कार्य को 100 साल पूरे हो रहे हैं। संघ की कार्य पद्धति लंबे समय से चली आ रही है। हम कार्य करते हैं तो उसके पीछे विचार क्या है? यह हमें ठीक से समझ लेना चाहिए। अपनी कृति के पीछे यह सोच हमेशा जागृत रहनी चाहिए। हमें देश को समर्थ करना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। हिंदू समाज इसका उत्तरदायी है। बोले- छुआछूत को लेकर मन बदलना होगा
नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम में डॉ. भागवत ने कहा- हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए हैं। इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है, जहां संघ का काम प्रभावी है। संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले होंगे। यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है। स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, नागरिक अनुशासन सहित पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे, तब ही समाज भी इसका अनुसरण करेगा। हिंदू का मतलब विश्व का सबसे उदार मानव
डॉ. भागवत ने कहा- राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और सामर्थ्यवान बनाने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की आवश्यकता है। हमें समर्थ बनना है। इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब सब कुछ स्वीकार करने वाला। सबके प्रति सद्भावना रखने वाला। पराक्रमी पूर्वजों का वंशज है। जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है। धन का उपयोग मदमस्त होने के लिए नहीं करता, दान के लिए करता है। शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा के लिए करता है। यह जिसका शील है, यह जिसकी संस्कृति है वह हिंदू है। पूजा किसी की भी करता हो। भाषा कोई भी बोलते हो। किसी भी जात-पात में जन्म हो। किसी भी प्रांत का रहने वाला हो। कोई भी खानपान, रीति-रिवाज को मानता हो। यह मूल्य जिनके हैं, यह संस्कृति जिनकी है, वह सब हिंदू हैं। संघ को अब मानने लगे लोग
डॉ. भागवत बोले- पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सब जानते हैं। पहले संघ को कोई मानता नहीं था। आज सब लोग मानते हैं, जो हमारा विरोध करने वाले लोग हैं वह भी। होठों से तो हमारा विरोध करते हैं लेकिन मन से तो मानते ही हैं। इसलिए अब हमें हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए करना है। पर्यावरण के नाते हिंदू की परंपरा सब जगह चैतन्य देखी है, इसलिए पर्यावरण के बारे में जो होना चाहिए वह हमको करना है। छोटी बातों से प्रारंभ करना। पानी बचाओ, सिंगल प्लास्टिक हटाओ, पौधे लगाओ, घर को हरित घर बनाना, घर में हरियाली, घर के गार्डन में बगीचा और सामाजिक रूप से भी अधिक से अधिक पेड़ लगाना यह हमें करना है। नई पीढ़ी संस्कार भूल रही
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठना। अपनी श्रद्धा अनुसार घर में भजन-पूजन करना, उसके पश्चात घर में बनाया हुआ भोजन साथ में करना। समाज के लिए भी कुछ ना कुछ करने की योजना करना। इसके लिए छोटे-छोटे संकल्प परिवार के सब लोग लें। अपने घर के अंदर भाषा, भूषा, भवन, भ्रमण और भोजन अपना होना चाहिए। इस तरह से कुटुंब प्रबोधन करना है। स्वदेशी पर दिया जोर
उन्होंने कहा कि अपने घर में स्वदेशी से लेकर स्व गौरव तक सारी बातें हैं। उनका प्रबोधन होना चाहिए। अपने देश में बनता है। वह बाहर देश का नहीं खरीदना यदि जीवन के लिए आवश्यक है तो अपनी शर्तों पर खरीदना। साथ ही अपने जीवन में मितव्ययिता को अपनाना होगा। समाज सेवा के कार्यों में समय लगाना। यह समाज पर उपकार नहीं है हमारा कर्तव्य है। ऐसा ध्यान रहना चाहिए। नागरिक अनुशासन हमारा होना चाहिए। हम इस देश के नागरिक हैं। हमें नागरिकता का बोध होना ही चाहिए। अलवर नगर एकत्रीकरण के पहले दिन (15 सितंबर 2024) संघ दृष्टि से चार उपनगरों की चालीस बस्तियों से 2842 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। मातृ स्मृति वन में किया पौधारोपण
नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम के पश्चात पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत भूरासिद्ध स्थित मातृ स्मृति वन में पहुंचे। यहां उन्होंने पौधे लगाए। इस दौरान संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख अरुण कुमार जैन, क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्द्धन, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सह कार्यवाह गेंदालाल और क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ. महावीर कुमावत आदि उपस्थित रहे। केन्द्र सरकार में वन मंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव और राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा सहित विभाग के उच्च अधिकारी भी मौके पर उपस्थित रहे। उधर, आज (16 सितंबर) मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा डॉ. भागवत से मुलाकात करेंगे। यह भी पढ़ें… RSS प्रमुख बोले- हम कहां पिछड़ रहे हैं,इसकी चर्चा जरूरी:समाज में समरसता होनी चाहिए, हर वर्ग को साथ लेकर चलना चाहिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों को परिवार और समाज से जुड़े 5 सूत्र बताए। उन्होंने कहा- हम कहां पिछड़ रहे हैं, इसके बारे में चर्चा करने की जरूरत है। (पूरी खबर पढ़ें)

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