
रेलवे टीटी के रिटायरमेंट के बाद की अनोखी दास्तान
रेलवे में 35 साल तक टीटी की नौकरी करने के बाद, जब वो रिटायर हुए, तो पत्नी को लगा कि अब घर में सुकून भरा समय बिताने को मिलेगा। लेकिन कहानी ने ऐसा मोड़ लिया कि हर दिन किसी नए कारनामे की शुरुआत हो गई।
बदलाव और पहला महीना
रिटायरमेंट के एक महीने बाद ही पत्नी ने बहाना बनाया और पति को डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर से बोलीं, “डॉक्टर साहब, मुझे तो बहाना था, असल में इन्हें दिखाना है। 35 साल तक ये रेलवे के टीटी रहे। अब इनके रिटायर होने के बाद घर में रहने की आदत ही नहीं रही। इनकी हरकतें बिल्कुल ट्रेन के डिब्बे जैसी हो गई हैं। अब आप ही कुछ कीजिए।”
रेलवे का डिब्बा बना दिया घर को
पत्नी ने डॉक्टर को बताया, “इन्होंने घर के चार फीट चौड़े पलंग को काटकर दो फीट का कर दिया है। अटैची को सांकल से बांधकर ताला लगाते हैं। तकिए में हवा भरते हैं और चप्पल सिरहाने रखते हैं।”
उन्होंने और भी खुलासा किया, “घर का ट्यूबलाइट हटाकर जीरो वाट का बल्ब लगा दिया है। टेप रिकॉर्डर में गाने की जगह ट्रेन की आवाज, प्लेटफॉर्म अनाउंसमेंट, और ‘गरम चाय समोसा’ की आवाज वाला कैसेट चलाते हैं। मूंगफली के छिलके और सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैला देते हैं।”
सोफे की जगह सीमेंट की बेंच “पिताजी से दहेज में मिला खूबसूरत सोफा बेचकर दो सीमेंट की बेंच ले आए हैं। बेडरूम की तस्वीरें हटा दी हैं और उनकी जगह ‘भारतीय रेल आपकी अपनी संपत्ति है, जंजीर खींचना मना है’ का बोर्ड लगवा दिया है।”
ट्रेन जैसी हरक़तें
पत्नी ने बताया, “रात में मैंने इन्हें मेहमानों के लिए जगाया तो इन्होंने करवट बदलते हुए मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और ₹100 का नोट थमा दिया। जब मैंने पूछा ये क्या है, तो बोले, ‘रसीद मत बनाना और इंदौर आने पर उठाना।’”
ट्रेन जैसा खान-पान और आदतें डाइनिंग टेबल पर खाना खाने से इनकार कर देते हैं। पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी प्लास्टिक की थैली में पैक करते हैं।“बाथरूम जाने के लिए भी लाइन लगाते हैं और दरवाजे को हर दो मिनट पर ठोकते हैं। सीलिंग फैन हटाकर टेबल फैन छत पर लटकवा दिया है और उसे कंघी से चालू करते हैं।”
परिवार हो गया हैरान
पत्नी ने आगे बताया, “रात में मेरे पिताजी और भाई आए। भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसका दी तो ये गुस्से में बोले, ‘जंजीर खींचू, चोरी करते शर्म नहीं आई।’ सुबह पिताजी ने खिड़की से इन्हें जगाने की कोशिश की तो बोले, ‘यहां कुछ नहीं मिलेगा। आगे जाओ।’ पिताजी को एक रुपये का सिक्का देते हुए पूछा, ‘कौन सा स्टेशन आया?’”
जिंदगी संघर्ष बनी
पत्नी ने अंत में कहा, “डॉक्टर साहब, इनके साथ जिंदगी कैसे कटेगी, मैं सोच-सोचकर डरती हूं। ये सात जन्मों की बात करते हैं, जबकि मैं तो इस एक जन्म में ही पछता रही हूं। भगवान किसी भी युवती को रेलवे के टीटी की पत्नी न बनाए।”