नदी पुनर्जीवन अभियान के अंतर्गत पद यात्रा में शामिल हुए मंत्री श्री पटेल

नरसिहंपुर : शनिवार, मई 24, 2025 पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटैल नदी पुनर्जीवन अभियान के अंतर्गत मुरलीपौड़ी से सींगरी नदी के किनारे होते हुए समनापुर तक पद यात्रा में शामिल हुए।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि मैं नर्मदा का परिक्रमावासी नहीं होता तो यह मेरे दिमाग में विचार नहीं आता कि मुझे नदियों के उद्गम स्थल पर जाना चाहिए। सींगरी नदी के उदगम स्थल पर जब पिछली बार आया था, तब लगा कि जो लोग वर्षो से काम करते है। उनकी हम मदद क्या कर सकते है संकल्प को पूरा कैसे कर सकते है। मैं बड़ी दृढ़ता के साथ कह सकता हूं जो लोग हमारे साथ बैठे है वो लगभग चार दशक से हमारे साथ थे। जब हम पैदल यात्रायें करते थे लोग दूसरे गांव तक जाते थे रोटी खिलाते थे और उसके बाद वो यात्रा पूरी होती थी। वो राजनैतिक यात्रा नहीं होती थी। यात्रा का कुछ उद्देश्य होता था। अब मुझे लगता है यदि हम नर्मदा नदी की धारा देखे तो हर जगह इसका बहाव कम होता दिखाई देगा। ऐसा नहीं है आप उससे परिचित नहीं है। नहरें नहीं होती तो एक बूंद पानी नहीं मिलता लेकिन नहरों से नदी में पानी लाना ये कुछ आपातकालीन परिस्थितियों में तो ठीक हो सकता है। अन्यथा नहरों और नदियों में कोई अंतर नहीं बचेगा। नदी का मतलब होता है खुद के अपने स्त्रोत। हमारे नाले बारहमासी थे, नदियां तो बहुत बड़ी चीज होती है। लेकिन आज सब कुछ सूख रहा है। हम क्या हमारी भूख खत्म नही हो रही है। हमको पानी चाहिए खेत को पानी, घर बैठे पानी चाहिए और मनमर्जी का पानी चाहिए। अगर आप 40 साल पहले हैंडपंप नही होते थे कुएं से पानी लाते थे। एक परिवार तीन- चार घड़े में अपनी जरूरते पूरी करता था। अब आपके पास 400 लीटर पानी होता है तब भी वो कम है। वो भी आपको सीधे अपने घर में चाहिए। और उसके बाद में 24 घंटे में बासा हो गया तो पलट दोगे उपयोग नही करोंगे, वो नाली में जायेगा। मंत्री श्री पटेल ने कुछ उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में पानी का सदुपयोग करना चाहिए।
गोटेगांव विधायक श्री महेन्द्र नागेश ने कहा कि जब तक जनता इस अभियान में भाग नहीं लेगी तब तक सफलता प्रदान नहीं करेंगे। सींगरी नदी पुनर्जीवन का बीड़ा श्री सुनील कोठारी ने यह अभियान उठाया था।
पूर्व राज्यमंत्री श्री जालम सिंह ने कहा कि लगभग 50 साल पहले कुएं से सिंचाई होती थी। हमारे देखते- देखते वो भी बंद हो गये। अब ट्यूबवेल से 500 से 600 फुट गड्ढे हो रहे है इसके बाद भी फेल हो रहे है। 50 साल में हमने जो देखा है तो आने वाले 50 साल में क्या होगा। जिस गति के साथ पर्यावरण, जल खेती के हिसाब से ज्यादती कर रहे है। हमारे पूर्वज, पुरखों ने ये काम नहीं किया। हम सबको पानी छोड़कर गये है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री ज्योति नीलेश काकोड़िया, श्री रामसनेही पाठक, श्री सुनील कोठारी, जनप्रतिनिधि व अन्य नागरिक मौजूद थे।