खनूजा टीवी सेंटर की लापरवाही: 5 साल की वारंटी के बावजूद फ्रिज की मरम्मत से किया इनकार, उपभोक्ता ने दर्ज कराई शिकायत

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
सोहागपुर, नर्मदापुरम।
स्थानीय खनूजा टीवी सेंटर की लापरवाही के खिलाफ एक उपभोक्ता ने थाना प्रभारी, थाना सोहागपुर को शिकायत सौंपकर न्याय की मांग की है। शिकायतकर्ता तखत सिंह गुर्जर ने आरोप लगाया है कि दुकानदार ने 5 साल की वारंटी होने के बावजूद फ्रिज की मरम्मत कराने से साफ इनकार कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
शिकायतकर्ता तखत सिंह गुर्जर ने बताया कि उन्होंने 11 फरवरी 2021 को खनूजा टीवी सेंटर से हायर कंपनी का फ्रिज ₹30,000 में खरीदा था। उस समय दुकानदार ने स्पष्ट रूप से 5 वर्षों की वारंटी का वादा किया था। अब फ्रिज के खराब हो जाने के बाद जब उन्होंने वारंटी के तहत मरम्मत की मांग की, तो दुकानदार ने मरम्मत कराने से इनकार कर दिया।
दुकानदार का रवैया रहा असहयोगात्मक
तखत सिंह का कहना है कि वे पिछले 15 दिनों से लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन दुकानदार ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। उल्टा, दुकानदार ने कथित तौर पर यह कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया—
“तुझसे जो बन पड़े कर ले, मैं फ्रिज नहीं सुधरवाऊंगा। कंपनी जाने और तुम जानो, मेरे पास मत आना।”
उपभोक्ता के पास हैं दस्तावेजी प्रमाण
उपभोक्ता ने बताया कि उसके पास फ्रिज की खरीद से जुड़ा बिल और वारंटी कार्ड दोनों मौजूद हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से 5 साल की वारंटी दर्ज है। इसके बावजूद दुकानदार द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना न केवल उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सेवा शर्तों की अनदेखी भी है।
उपभोक्ता फोरम की ओर इशारा
इस पूरे मामले से उपभोक्ता फोरम में शिकायत की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं। यदि स्थानीय प्रशासन द्वारा इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है।
क्या कहता है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम?
भारतीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत, यदि किसी उत्पाद पर लिखित वारंटी उपलब्ध है और उत्पाद वारंटी अवधि में खराब होता है, तो विक्रेता या निर्माता को उसकी मरम्मत या प्रतिस्थापन सुनिश्चित करना अनिवार्य होता है। इस मामले में स्पष्ट रूप से उपभोक्ता अधिकारों का हनन प्रतीत हो रहा है।
अब निगाहें प्रशासन पर
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या तखत सिंह को समय पर न्याय मिल पाता है। यदि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो उपभोक्ताओं का विश्वास बाजार प्रणाली पर से उठ सकता है।