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केरल में हो सकता है तो देश भर में क्यों नहीं, वामपंथ विकल्पः माकपा

केरल में हो सकता है तो देश भर में क्यों नहीं, वामपंथ विकल्पः माकपा

रिपोर्टर अवधेश चौकसे

सालीचौका नरसिंहपुरः मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के जिला सचिव एवं राज्य समिति सदस्य कामरेड जगदीश पटेल ने बयान जारी कर बताया कि जब केरल सरकार किसानों मजदूरों आम जन के लिए काम कर रही है तो देश के बाकी हिस्सों सहित हमारे मध्य प्रदेश में क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने कहा कि कार्पोरेट परस्त पूंजीवादी नीतियां लागू करते हुए देश की मोदी सरकार और अन्य प्रदेशों की सरकारें अदानी अंबानी जैसे चंद कॉर्पोरेट के हित में नीतियां बनाकर आम जनता को लूटने की खुली छूट दे रखी है,जो आज कह रहे हैं किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं दे सकते, शासकीय स्तर पर शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार नहीं दे सकते, निजीकरण एक विकल्प के तौर पर प्रदर्शित कर कार्पोरेट के हित में और आमजन की लूट का रास्ता तैयार कर रहे हैं, पटेल ने बताया कि विकल्प केरल में मौजूद है वहां प्रशिक्षण लेने जाइए जहां शिक्षा रोजगार कृषि से लेकर आमजन खुशहाली में जीवन यापन कर रहे हैं, वहां के लोगों का ही नहीं दूसरे प्रदेशों से गए श्रमिकों का स्तर ऊंचा उठ रहा है।
‘केंद्र सरकार द्वारा केरल के लिए एक लाख करोड रुपए से अधिक के पॉजिटिव फंड को रोक कर रखा है’
जबकि कल्याणकारी योजनाओं के बजट में अभी कटौती की गई है, इसके बाद भी केरल कृषि शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार मानव विकास के मामले में नंबर पर है ,व्यापक कृषि श्रमिक कानून बनाया है जो श्रमको किसानो खेत मजदूर और अन्य लोगों को लाभ पहुंचता है इसके अतिरिक्त ई एम एस सरकार ने देश में पहली बार भूमि सुधार लागू किया था और गरीबों को जमीन वितरित की थी 80% से अधिक लोगों को खेती योग्य भूमि उपलब्ध कराई गई थी। नवा केरल पहल का लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को खेती योग्य भूमि उपलब्ध कराना है केरल के अंदर खेत मजदूर और ग्रामीण श्रमिकों को प्रतिदिन*मजदूरी ₹800 से लेकर ₹1200 तक, की दैनिक की दूरी दी जाती है ,कृषि मौसम के दौरान किसानों पर बोझ डाले बिना खेत मजदूर की मजदूरी का भुगतान पंचायत के माध्यम से किया जाता है ,जब फसल से मुनाफा हो जाता है तब किसान पंचायत को भुगतान करते हैं इसके अतिरिक्त कृषि श्रमिकों के समर्थन के लिए एक पेंशन बोर्ड भी बनाया गया है राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार केरल में मध्य प्रदेश राजस्थान उड़ीसा और महाराष्ट्र जो ऐसे अपराधों की सूची में शीर्ष पर है ,जैसे राज्यों की तुलना में दलित महिलाओं पर हमले की दर काफी कम है केरल में85% आबादी को राशन की दुकानों के माध्यम से 10 से 12 प्रकार के सामान वितरित किए जाते हैं। केरल की सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश के लिए एक मॉडल बन गई है नीति आयोग के अनुसार केंद्र की नरेंद्र नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत गुजरात में गरीबी का प्रतिशत सबसे अधिक 17% है जबकि केरल 0.7% के साथ काफी निचले स्थान पर है।केरल सरकार प्रतिमाह1600 रुपए पेंशन देती है वह भी घर-घर जाकर
9800रु प्रतिकिवंतल बासमती ‘600रु प्रतिकिवंतल बोनस
केरल सरकार धान और सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त सब्सिडी प्रदान करती है किसानों को केंद्र सरकार से समर्थन मूल्य के अलावा प्रति कुंटल धान पर ₹600 का बोनस मिलता है।

14प्रकार की सब्जियों का न्युनतम समर्थन मूल्य

सरकार घरेलू सब्जी की खेती को भी प्रोत्साहन करती है और कृषि श्रमिकों को नगद प्रोत्साहन प्रदान करती है, धान की खेती को बढ़ावा देने के पक्ष में रबड़ की खेती काम करने की एक सूची समझी नीति चल रही है जिसके तहत अन्य प्रदेशों में लहसुन, टमाटर की लागत न निकलने से रोड पर फेंके जाने की घटनाएं नहीं होती हैं।केरल सरकार ने किसान कल्याण फंड लागू किया है प्रति किसान ₹5000 पेंशन दी जाती है। कृषि राहत आयोग का गठन किया है जिससे किसानों को ऋण से राहत दिलाने का काम किया जाता है केरल एकमात्र राज्य है जहां किसान आत्महत्या नहीं करता है।

सरकारी स्कूलों में दाखिला सबसे अधिक

एक तरफ जहां पूरे देश में सरकारी स्कूलों में दाखिला घट रहा है केरल में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की संख्या बढ़ रही है गरीब परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है जो उन्हें राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देता है , एलडीएफ सरकार ने बेकार पड़ी सर्वजनिक शिक्षण संस्थानों की इमारतें प्रयोगशालाएं जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, कक्षाओं को स्मार्ट बनाया है, निवेश में वृद्धि हुई है 8 साल में 5000 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है, 10 लाख नए बच्चे स्कूल में शामिल हुए हैं ,उच्च शिक्षा क्षेत्र मजबूत है ।15 सर्वश्रेष्ठ श्रेष्ठ विश्वविद्यालय में तीन केरल में है देश के शीर्ष 200 कॉलेज में से 42 केरल में है देश की पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल में शुरू की गई

शासकीय स्वास्थ्य व्यवस्था सबसे बेहतर

केरल में सभी गरीब परिवारों को मुक्त इलाज मिलता है और 96% प्रसव अस्पताल होना होते हैं, कोविद-19 महामारी के दौरान केरल की चिकित्सा देखभाल को अमेरिका से प्रशंसा मिली थी, विजयन सरकार ने करुणमय संपूर्ण आरोग्य योजना शुरू की है जिसके तहत गरीबों को मुक्त सुपर स्पेशलिटी उपचार प्रदान किया जाता है ,और ₹500000 तक का खर्च भी उठाया जाता है, केरल में प्रति 1000 जन्म पर लड़कों से 84लड़कियां अधिक है, लिंगानुपात केरल में महिलाओं की मजबूत स्थिति को दर्शाता है । केरल में ग्राम पंचायत में पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र ,जिला अस्पतालों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाया है मेडिकल कॉलेज में विस्तार किया गया है।

प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा

केरल सरकार न केवल राज्य के लोगों बल्कि देश के अन्य हिस्सों से आने वाले प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है ,इन प्रवासी श्रमिकों को केवल श्रमिक के बजाय *अतिथि श्रमिक* कहा जाता है वह जब तक केरल में रहते हैं उन्हें आवास भोजन चिकित्सा देखभाल और अन्य सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाती है यह समर्थन रोजगार ढूंढ रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए केरल की पसंदीदा स्थान बन गया है।

जमीन अधिग्रहण पर मुआवजा

केरल सरकार ने नवा केरल; पहल शुरू की है जो न्यायसंगत हो और सभी नागरिकों के लिए कल्याणकारी हो। केरल सरकार ने 83हजार करोड़ की लागत से इन्फ्रास्ट्रक्चर का बिकास किया है, साथ ही अधिग्रहण के मामले में 40 करोड रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया गया। सरकार अपनी नौकरी खोने वाले श्रमिकों को वित्तीय सहायता भी दे रही है, राज्य स्तर पर एक लाख करोड रुपए आवंटित कर केरल सहकारी बैंक की स्थापना की गई है ,जो सहकारी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण गरीबों को लाभ पहुंचा रहा है। एससी एस टी कल्याण के लिए 770 करोड रुपए खर्च कर 556994 परिवारों को लाभ पहुंचाया है साथ ही 3937 एकड़ भूमि भूमिहीनों में वितरित की गई है ,अनुसूचित जनजाति को वन अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेज तैयार कराय जा रहे हैं ,उनकी बस्तियों में बिजली पहुंचाई गई है और 1099 अनुसूचित जनजाति बस्तियों को निशुल्क इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाई है ,कॉलोनी शब्द को राज्य की शासन प्रणाली से हटा दिया गया है

सबसे ज्यादा सरकारी नौकरियां

गुजरात जैसे राज्यों में जहां 10000 से कम सरकारी नौकरियां शिक्षित हुई है ,वहीं केरल की प्रजेंट सरकार ने तीन लाख नौकरियां प्रदान की ।केरल में सरकारी नौकरियां 8 साल में 27800 नियुक्तियां की गई है साथ ही अन्य विभागों की रिक्तियां की रिपोर्ट देने शक्ति से निर्देश दिए गए हैं ,सभी राज्यों में हुई कुल पी एस सी नियुक्तियों का 60% केरल में हुआ है ।सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के आरक्षण को जारी रखा है ।केरल में मुस्लिम और इसी संख्या ज्यादा होने के बावजूद केरल सांप्रदायिक सद्भाव का एक मॉडल बना हुआ है ।राज्य अपने संपूर्ण लोगों के कल्याण विकास और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए समर्पित है ।केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की फंडिंग रोक कर केरल को कमजोर करने का प्रयास कर रही है ।

आंदोलन करने की अनुमति

केरल सरकार अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करती हैं,विरोध करने के अधिकार का सम्मान करना, लोगों को अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करने की अनुमति देता है। जबकि भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें और अन्य दल अक्सर आंदोलनों को शक्ति से दवा देते हैं ।मुख्यमंत्री पीनारायी विजयन के नेतृत्व में केरल में केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण कार्यों के विरोध में दिल्ली में धरना भी दिया था। जो कि आम जन के लिए संघर्ष करती है। कामरेड पटेल ने आम जनता से भी अपील की है जब केरल की मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की एल डी एफ सरकार किसान मजदूर एवं आमजन के लिए कम फंड में सुविधाएं दे सकते हैं तो अन्य सरकारों से सवाल कीजिए, और वामपंथ ही अब विकल्प है, विचार कर किसान मजदूर एवं देश हित में निर्णय लेने आव्हान किया है।

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