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कृषि अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक कर रहे जिले के खेतों का भ्रमण

फसल संबंधी किसानों को दे रहे समसामयिक सलाह

कृषि अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक कर रहे जिले के खेतों का भ्रमण

फसल संबंधी किसानों को दे रहे समसामयिक सलाह

नरसिहंपुर। जिले में किसानों द्वारा खरीफ की लगभग 2.20 लाख हेक्टर में फसलें ली जा रही हैं। इन फसलों में मुख्यत: धान 69 हजार हेक्टर, मक्का 50 हजार हेक्टर, सोयाबीन 32 हजार हेक्टर में लगी है। साथ ही गन्ना 65 हजार हेक्टर में लगा है। जिले में एक जून से 13 सितम्बर तक की अवधि में औसत रूप से कुल 1081.4 मिमी अर्थात 42.57 इंच वर्षा दर्ज की गयी है। विगत दिनों हुई बारिश से फसलों में कोई विपरित प्रभाव नहीं आ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों का दल जिले के विभिन्न खेतों का भ्रमण कर लगातार अवलोकन कर रहे हैं। साथ ही खरीफ संबंधी फसलों के लिए किसानों को समसामयिक सलाह भी दे रहे हैं।

      जिले के कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन एवं उड़द की फसल में पीला मोजैक वायरस रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। इस दौरान किसान मिश्रित रसायन जैसे इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत, ईसी 150 मिली दवा या इमीडाक्लोप्रिड 30.5 प्रतिशत, एससी 50 मिली या थायोमेथाक्जाम 25 प्रतिशत, डब्ल्यूजी 80 ग्राम दवाई को 150 लीटर पानी मे घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यदि सफेद मक्खी के साथ- साथ पत्ती खाने वाले कीड़े अथवा इल्लियों का प्रकोप है, तो किसान बाजार मे उपलब्ध पूर्व मिश्रित दवा थायोमेथाक्जाम लैम्बडा सायलोथ्रिन 50 एमएल या बेटासायफ्लूथ्रिन के साथ इमीडाक्लोप्रिड 140 एमएल दवा को 150 लीटर पानी मे घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इससे सफेद मक्खी के साथ- साथ पत्ती खाने वाले अन्य कीटों का एक साथ नियंत्रण हो सकेगा।

अत्याधिक वर्षा होने की स्थिति में सोयाबीन फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को सलाह

जिले में अत्याधिक बारिश होने की स्थिति में किसान सोयाबीन फसल की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने समसामयिक सलाह दी है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि खेतों में पानी निकासी की अविलम्ब व्यवस्था करें। किसान प्रतिदिन अपने खेतों निरीक्षण करें और कीट बीमारियों की समस्या आती है, तो दवा के छिड़काव की व्यवस्था करें। इस समय फसलों में पीला मोजेक नामक बीमारी दिखाई दे तो, उन पौधों को तुरंत उखाड़ कर नष्ट करें। खेत के चारों ओर फेरोमेन ट्रेप लगाने की व्यवस्था करें। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए चिपचिपी पीली पट्टी लगायें और अनुशंसित दवाओं का फसलों में प्रयोग करें।

      किसानों को सलाह दी गई है कि यदि तना मक्खी व सफेद मक्खी का प्रकोप फसलों में दिखाई देता है, तो पूर्व में मिश्रित कीटनाशक दवा थायोमेथाक्जाम 12.6 प्रतिशत, लेम्डासायहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत, जेडसी 150 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। इल्लियों के नियंत्रण के लिए इंडावसाकार्ब 15.8 एससी 333 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। चक्रमृंग व इल्लियों के नियंत्रण के लिए क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी 150 मिली हेक्टर की दर से छिड़काव करें।

जिले में रासायनिक खाद की जानकारी

      जिले में रबी फसल बोनी को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद का भण्डारण कराया गया है। जिले में यूरिया 34731 मी.टन भण्डारण करते हुए 30378 मी. टन वितरण किया गया है। वर्तमान में 4353 मी.टन यूरिया जिले में उपलब्ध है।

      इसी प्रकार डीएपी 6484 मी. टन का भंडारण करते हुए 6431 मी.टन का वितरण किया गया है। जिले में एनपीके की 6263 मी. टन का वितरण कर लगभग 1427 मी. टन शेष है। इसी प्रकार लगभग 2045 मी.टन एसएसपी भी जिले में उपलब्ध है। अभी वर्तमान में डीएपी की उपलब्धता जिले में कम है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से डीएपी के बेहतर विकल्प के रूप में 12:32:16, 20:20:0:13 एवं एसएसपी का पर्याप्त भण्डारण है।

अधिकारियों ने किया खरीदी पंजीयन केन्द्रों का निरीक्षण

      राज्य शासन के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के निर्देशानुसार खरीफ विपणन वर्ष 2024- 25 में समर्थन मूल्य पर धान एवं मोटे अनाज (ज्वार एवं बाजरा) उपार्जन के लिए किसान पंजीयन का कार्य 19 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2024 तक किया जायेगा। उप संचालक कृषि श्री उमेश कटहरे, कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ. एसएस शर्मा, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्रीमती पूजा पासी, वकृविअ और अन्य अधिकारियों द्वारा विकासखंड सांईखेड़ा, चीचली एवं करेली में बनाये गये विभिन्न खरीदी पंजीयन केन्द्रों का निरीक्षण किया।

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