गाडरवारा में पहली बार निकली श्री वल्लभाचार्य जयंती पर शोभायात्रा, भक्ति-उत्साह से गूंजा नगर

गाडरवारा (नरसिंहपुर), अप्रैल 2025:
पुष्टिमार्ग प्रवर्तक जगद्गुरु श्री वल्लभाचार्य महाप्रभु जी के प्राकट्य दिवस के पावन अवसर पर स्थानीय वल्लभकुल पुष्टिमार्गीय श्रीगौर्वधननाथजी हवेली से नगर में पहली बार एक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया।
सुबह के समय निकली इस शोभायात्रा में भजन, कीर्तन, और पारंपरिक नृत्य के साथ श्रद्धालु जनों ने पूरे हवेली क्षेत्र में भक्ति भाव से परिपूर्ण वातावरण निर्मित किया।
शोभा यात्रा का भक्ति पूर्ण समापन
शोभा यात्रा हवेली से आरंभ होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः हवेली में आकर संपन्न हुई। महिला वैष्णवों ने पारंपरिक परिधानों में मंगल गीतों और नृत्य से इस आयोजन को संगीतमय और उल्लासपूर्ण बना दिया।
हवेली में धार्मिक अनुष्ठान एवं प्रसाद वितरण
कार्यक्रम के अंतिम चरण में हवेली परिसर में विमान विराजित कर, भजन, आरती, और पूजन किया गया।
मुख्य आचार्य श्रीनाथजी भट्ट की अगुवाई में श्री वल्लभाचार्य जी के जीवन, कृतित्व और धर्म सुधार में योगदान पर विचार प्रस्तुत किए गए। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कर आयोजन का समापन किया गया।
श्रद्धालुओं की सराहनीय भागीदारी
इस कार्यक्रम में वैष्णव समाज के साथ-साथ बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, जिससे आयोजन भक्ति, संस्कृति और एकता का अनूठा उदाहरण बन गया।
श्री वल्लभाचार्य का धर्म में योगदान
श्री वल्लभाचार्य जी का जन्म उस काल में हुआ जब हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की गिरावट और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। उन्होंने भक्ति मार्ग को पुनर्जीवित करते हुए समाज को पुष्टिमार्ग का मार्ग दिखाया।
ऐतिहासिक प्रसंग अनुसार, दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य में राजा कृष्णदेव राय द्वारा आयोजित धार्मिक परिसंवाद में वल्लभाचार्य जी ने ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भागवत पर अपने विशिष्ट विचार प्रस्तुत किए, जिन्हें सर्वश्रेष्ठ माना गया और उन्हें जगद्गुरु की उपाधि प्राप्त हुई।