गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

गाडरवाड़ा में ब्रह्माकुमारीज द्वारा रंगों का त्यौहार एवं दादी हृदयमोहिनी जी का पुण्यस्मृति दिवस मनाया गया

गाडरवाड़ा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रभु उपवन भवन में दादी हृदयमोहिनी जी की चौथी पुण्यतिथि एवं होली पर्व का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत परमात्म स्मृति से हुई, जिसमें उपस्थित जनों ने दादी हृदयमोहिनी जी को स्नेहपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके प्रेरणादायी संस्मरणों को याद किया।

दादी हृदयमोहिनी जी: आध्यात्मिक सेवा में समर्पित जीवन

दादी हृदयमोहिनी जी, ब्रह्माकुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका थीं। सिर्फ 9 वर्ष की आयु से ही उन्होंने अपना जीवन परमात्म कार्य को समर्पित कर दिया था। उन्होंने लाखों आत्माओं को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और उन्हें परमात्मा शिव के समीप लाने का कार्य किया। दादी जी को दिव्य दृष्टि का वरदान प्राप्त था, और उनके तन द्वारा 49 वर्षों तक परमात्मा शिव की वाणी प्रवाहित हुई।

होली पर्व: गुलाब जल, फूलों और गुलाल से मनाया गया उत्सव

दादी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ होली का पर्व मनाया गया। इस दौरान सभी ने गुलाब जल, रंग-बिरंगे फूलों और गुलाल से एक-दूसरे को रंग लगाया तथा प्रेमपूर्वक गले मिलकर शुभकामनाएँ दीं।

“परमात्म प्रेम का रंग सबसे अनमोल” – ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी

गाडरवाड़ा क्षेत्र की संचालिका आदरणीय ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने इस अवसर पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है।

  • उन्होंने बताया कि हमें स्वयं को परमात्म प्रेम के रंग में रंगना चाहिए, क्योंकि यह रंग जितना गहरा होता है, जीवन उतना ही महकता जाता है।
  • होली का अर्थ है ‘हो ली’ यानी जो बीत गया, उसे छोड़ देना चाहिए। बीती बातों को याद करके दुखी होने की बजाय हमें मानसिक शांति और आत्मिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।
  • “होली जलाना” का तात्पर्य है अंदर की बुरी प्रवृत्तियों को जलाकर खत्म करना और आत्मा रूपी प्रह्लाद को बचाना। उन्होंने समझाया कि इस संसार में ‘काम’ की आग फैली हुई है, जिससे बचने के लिए हमें निरंतर परमात्मा का सिमरण करना आवश्यक है।

बुराइयों का अंत: संकल्प और अग्नि में आहुति

कार्यक्रम के अंतिम चरण में, दीदी जी ने सभी भाई-बहनों से अपनी एक बुराई को लिखने और उसे छोड़ने का दृढ़ संकल्प करवाया। इसके बाद, इन बुराइयों की पर्चियों को होली की अग्नि में जलाया गया, जिससे आध्यात्मिक शुद्धिकरण का संदेश दिया गया।

इसके पश्चात सभी को आत्म-स्मृति का तिलक लगाया गया, आशीर्वाद कार्ड वितरित किए गए, प्रसाद वितरण हुआ, और कार्यक्रम का समापन हुआ।

समाज में आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करने का प्रयास

इस आयोजन के माध्यम से सभी को आध्यात्मिक उन्नति और पवित्रता के महत्व का संदेश दिया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस प्रेरणादायी आयोजन को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

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