डॉ. विराट जयासवाल ने वित्त मंत्री के साथ प्री-बजट बैठक में भाग लिया
डॉ. विराट जयासवाल ने वित्त मंत्री के साथ प्री-बजट बैठक में भाग लिया

रिपोर्टर अवधेश चौकसे
नई दिल्ली: विगत दिवस केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 6 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली स्थित नार्थ ब्लाक, वित्त मंत्रालय में केंद्रीय श्रमिक संघो के प्रतिनिधियों के साथ बजट-पूर्व परामर्श बैठक की अध्यक्षता की जिसमे “नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन” के राष्ट्रीय महासचिव, डॉ विराट जायसवाल ने संगठन का प्रतिनिधित्व किया.इस
बैठक में मुख्य रूप से देश के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, अनंत नागेश्वरन, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त, कौशल विकास, आर्थिक मामलों, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव और वित्त मंत्रालय के अन्य आला अधिकारी मौजूद थे.
श्री जायसवाल ने मुख्य मांगें रखी जिनमें प्रमुख
मुख्य मांगे आयकर छूट बढ़ाकर 20 लाख की जाये, गिग एवं प्लेटफार्म स्टार्टअप कंपनियों में निवेश एवं गिग वर्करों की सामजिक सुरक्षा दी जाये। भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना जिसमें विश्यविदालो एवं श्रम संघो की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए, दवाईयो की एवं खाद्य सामग्री में मिलावट, गुणवत्ता की जांच के लिए फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं 600 करोड़ का वित्तीय प्रावधान हो।
स्कीम वर्कर जैसे- आशा-उषा एवं आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को ई.एस.आई.सी. एवं ई.पी.एफ.ओ. के दायरे में लाना चाहिए।साथ ही
डॉ विराट जायसवाल ने वित्त मंत्री को सुझाव दिया कि इनकम टैक्स की वर्तमान छूट की बाधा को दूर कर 20 लाख तत्काल किया जाय जिससे लोगो के पास पैसा रहेगा तो निशित रूप से कन्जम्प्सन बढेगा और सरकार जी.एस.टी. एवं अन्य इनडायरेक्ट टैक्स आम जनता से ले ही रही है.
डॉ विराट जायसवाल ने बताया की उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद् देते हुये कहा की पहली बार कोड ऑन सोशल सिक्यूरिटी 2020 में गिग एवं प्लेटफार्म वोर्केरो को मान्यता दी गई है. गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर, वे लोग होते हैं जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए अस्थायी या लचीले रोज़गार करते हैं. ये लोग गिग इकॉनमी का हिस्सा होते हैं. गिग इकॉनमी में, पारंपरिक नौकरी के बजाय लोग फ़्रीलांस,अल्पकालिक, या ऑन-डिमांड काम करते हैं. भारत में गिग इकॉनमी का विस्तार तेज़ी से हो रहा है. उदहारण के तौर पर स्विगी: ज़ोमैटो अमेज़न फ़्लिपकार्ट उबर ओला, ब्लिंक-इट, बिग-बस्कित जैसी तमाम कम्पनियाँ.हैं
डॉ जैसवाल ने बताया कि अगर सरकार इन जैसी और स्टार्टअप कंपनियों में निवेश को बढ़ावा देती है तो वर्ष 2029 तक तक़रीबन 9 मिलियन यूवाओ को रोजगार मिलेगा. इन गिग वर्करो की बढती संख्या को देखते हुए सरकार को अभी से ही इनकी समजिक सुरक्षा सुनिश्चित करे, ई श्रम पोर्टल में इनका पंजीयन कराकर यूनिवर्सल सोशल सिक्यूरिटी फॉर आल के तहत ईपीएफओ, ईएसआई स्कीम में सरकार इनकी तरफ से योगदान राशि जमा करे.
कौशल विकास द्वारा युवाओं को रोजगार मुहैया कराना सरकार की विभिन्न प्राथमिकताओं में से एक है. डॉ विराट जायसवाल वित्त मंत्री को सुझाव दिया कि देश के मोजूदा स्किल इको सिस्टम में और सुधार की सम्भावना है जिसमे उन्होंने विशिस्ट मांग करते हुए कहा की केंद्रीय श्रमिक संगठन एवं जो विश्वविद्यालय कौशल विकास के क्षेत्र में कार्य कर रहे है उनकी भागीदारी स्किल इकोसिस्टम में सुनिश्चित की जाय.
“स्वास्थ्य” पहले से ही सरकार की प्राथमिकता रही है, सरकार को निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं और खाद्य पद्दार्थों में मिलावट की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए अत्याधुनिक फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना में निवेश करना चाहिए। सामान्य जनता का स्वास्थ्य किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए. इसके लिए आगामी बजट में 600 करोड़ रूपए के वित्तीय प्रावधान की मांग राखी.
स्कीम वर्कर जैसे- आशा-उषा एवं आंगनवाडी कार्यकर्ताओ को ई.एस.आई.सी. एवं ई.पी.एफ.ओ. के दायरे में ला कर इनका योगदार सरकार द्वारा जमा कराकर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाय. संगठन के सभी पदाधिकारियों ने डॉ जायसवाल को बधाइयाँ प्रेषित की. उक्त जानकारी सलीचौका निवासी एनएफ़आइटीयू के मध्य प्रदेश राज्य के सचिव युवा डॉ आनंद जायसवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी हैं।