Ladli Bahna Yojna:देश भर में धूम मचा रही है मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना : अन्य राज्यों में इसी तर्ज पर महिलाओं को लुभा रहे नेता !
लाड़ली बहना योजना अब जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के साथ तकरीबन हर उस राज्य में महिलाओं को लुभाने का हथियार बन रही है,
देश भर में धूम मचा रही है मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना : अन्य राज्यों में इसी तर्ज पर महिलाओं को लुभा रहे नेता !
लाड़ली बहना योजना अब जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के साथ तकरीबन हर उस राज्य में महिलाओं को लुभाने का हथियार बन रही है,
MP LADLI BAHNA YOJNA : मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में शानदार असर दिखाने वाली लाड़ली बहना योजना अब जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के साथ तकरीबन हर उस राज्य में महिलाओं को लुभाने का हथियार बन रही है, जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। महिलाओं को सीधा आर्थिक लाभ देने वाली इस योजना की तर्ज पर ही भाजपा के अलावा कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दल वादे कर रहे हैं।
महिला वोट बैंक पर सीधा प्रभाव डालने वाले वादों को लेकर राजनीतिक दलों में होड़ की यह स्थिति है कि हरियाणा में कांग्रेस ने भी लाड़ली बाहना योजना का लाभ अलग रूप में दिए जाने की घोषणा की है। पार्टी ने महिलाओं को दो हजार रुपये प्रति माह और बुजुर्ग, दिव्यांग व कल्याणी को छह हजार रुपये प्रति महीने देने का वादा किया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय जारी घोषणा-पत्र में भाजपा ने ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ के तहत 2,100 रुपये हर महीने देने का वादा किया है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार महिलाओं को 1,500 रुपये महीने का आर्थिक लाभ देने की योजना लाई है। यहां इसी साल चुनाव होने हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने भी महिलाओं को एक हजार रुपये देकर आधी जनसंख्या का भरोसा जीतने का हथियार बनाया है।
महाराष्ट्र की शिवसेना महायुति गठबंधन की एकनाथ शिंदे सरकार ‘माझी लड़की बहिन योजना’ में 80 लाख महिलाओं को प्रति महीने डेढ़ हजार रुपये दे रही है और इसे बढ़ाने का भी वादा किया गया है। महिला सशक्तिकरण के नाम पर भाजपा ने JK में विवाहित महिलाओं को ‘मां सम्मान योजना’ के अंतर्गत हर वर्ष 18 हजार रुपये का वादा किया है।
ऐसे चुनावी वादों को रोकने का अधिकार चुनाव आयोग के पास भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि आप ऐसे वादों में केवल यह देखिए कि जो वादे किए जा रहे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए राज्य के पास संसाधन हैं या नहीं। सभी दल इसी हिसाब से लिखकर दे देते हैं। आजकल राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना सबसे बड़ा मुद्दा रह गया है।