मध्य प्रदेश की सड़कों पर फिर दौड़ेंगी राज्य परिवहन की बस , सस्ता होगा बस का सफर
सरकार बना रही सड़क परिवहन निगम को शुरू करने की योजना
मध्य प्रदेश की सड़कों पर फिर दौड़ेंगी राज्य परिवहन की बस , सस्ता होगा बस का सफर
सरकार बना रही सड़क परिवहन निगम को शुरू करने की योजना
मुख्य सचिवालय कार्यालय द्वारा परिवहन विभाग को सड़क परिवहन निगम को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव भेजा गया है. वहीं, प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा. परिवहन विभाग को महाराष्ट्र के मॉडल की तर्ज पर चलाया जाएगा ।
भोपाल। प्राइवेट बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों को मध्य प्रदेश सरकार जल्द सरकारी बसों की सौगात देने जा रही है. बीते 19 साल से बंद पड़े राज्य सड़क परिवहन निगम को प्रदेश सरकार फिर से शुरू करने वाली है, जिसके लिए परिवहन विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. बता दें, परिवहन निगम द्वारा बसों को सबसे पहले उन ग्रामीण इलाकों में चलाया जाएगा, जहां निजी बस सेवा नहीं हैं ।
जानकारी के अनुसार, मुख्य सचिवालय कार्यालय द्वारा परिवहन विभाग को सड़क परिवहन निगम को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव भेजा गया है. वहीं, प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा. कहा जा रहा है कि परिवहन विभाग को महाराष्ट्र के मॉडल की तर्ज पर चलाया जाएगा. कैबिनेट बैठक में सड़क परिवहन निगम की योजना का विवरण दिया जाएगा, जिसमें बसों को कैसे संचालित करना है, कौन सी बसों को शामिल किया जाएगा और उनके क्या-क्या रूट होंगे यह सभी शामिल हैं.
ये है मुख्य वजह
दूसरी ओर, प्रदेश में सड़क परिवहन को फिर से शुरू करने के पीछे की मुख्य वजह प्राइवेट बस कंपनी द्वारा बसों को सिर्फ मुख्य रास्तों पर चलाना बताया गया है. दरअसल, प्राइवेट बस कंपनियां सिर्फ उन्हीं रूट्स पर बस चलाती हैं, जहां से उन्हें अच्छी कमाई होती है. भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर जैसे शहर इसमें शामिल हैं. वहीं, दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को लंबी पैदल यात्रा के बाद बस या ट्रेन मिलती है ।
दूसरे प्रदेश तक भी विस्तार
समस्या को हल करने के लिए निगम को पुनः शुरू करने का प्रस्ताव सड़क परिवहन को भेजा गया है. पहले चरण में इस सेवा को इंटर डिस्ट्रिक्ट (जिले से जिले) में शुरू किया जाएगा और यदि सब कुछ ठीक रहा तो सेवा को पड़ोसी राज्यों तक बढ़ाया जाएगा. बता दें,
19 साल पहले बंद हुआ था निगम
आपको बता दें कि, साल 2005 में निगम को बंद कर दिया था। हालाँकि यह तकीनीकी रूप से पूरी तरह बंद भी नहीं हुआ था क्योंकि इसे बंद करने का गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था। हालांकि, इसे बंद करने का प्रोसेस साल 1990 के बाद से ही शुरू हो गया था। दरअसल, परिवहन निगम में 29.5% राशि केंद्र और 70.5% राशि प्रदेश सरकार द्वारा दी जाती थी, जिसमें राज्य ने अपना हिस्सा देना बंद कर दिया था। इसी वजह से आज भी निगम के लगभग 11500 कर्मचारियों को सैलरी, पीएफ और पेंशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसे बंद करने के पीछे का कारण 756 करोड़ का घाटा बताया गया था।