सीएम हेल्पलाइन की शिकायत बनी शिक्षक की मौत का कारण? सिस्टम पर उठे सवाल

सिवनी, मध्य प्रदेश: जिले के एक समर्पित शिक्षक मोहनलाल साहू की असामयिक मृत्यु ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनके परिवार और सहयोगियों का आरोप है कि सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज एक शिकायत के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव ने उनकी जान ले ली। इस घटना ने हेल्पलाइन प्रणाली के दुरुपयोग और सरकारी कर्मचारियों पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताएँ खड़ी कर दी हैं।
शिकायत से बढ़ा तनाव, बिगड़ी तबीयत
मोहनलाल साहू शिक्षा विभाग में एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक के रूप में जाने जाते थे। उनके परिवार के अनुसार, हाल ही में उनके खिलाफ सीएम हेल्पलाइन पर एक शिकायत दर्ज की गई थी। इस शिकायत को लेकर वह लगातार मानसिक दबाव में रहे, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई।
परिवार के अनुसार, साहू पहले ही हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और उनकी एंजियोप्लास्टी हो चुकी थी। बावजूद इसके, शिकायतकर्ता उन पर दबाव बनाता रहा। बताया जा रहा है कि शिकायतकर्ता ने उनसे शिकायत वापस लेने के एवज में 5000 रुपये की मांग की थी।
परिवार और सहकर्मियों की प्रतिक्रिया
शिक्षक की बेटी संस्कृति साहू ने कहा, “पापा हमेशा अपने काम को लेकर गंभीर रहते थे, लेकिन इस शिकायत के बाद से वे परेशान रहने लगे। उन्हें ठीक से नींद नहीं आती थी और वे चुपचाप रहने लगे थे।”
उनके सहयोगियों ने भी इस बात की पुष्टि की कि शिकायत के बाद से साहू का व्यवहार बदल गया था। एक शिक्षक ने बताया कि शिकायत झूठी थी और उस दिन वे अपने स्कूल में उपस्थित थे। लेकिन फिर भी उन्हें परेशान किया गया, जिससे उनका तनाव बढ़ गया।
सीएम हेल्पलाइन: वरदान या अभिशाप?
सीएम हेल्पलाइन का उद्देश्य नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना और प्रशासन को अधिक जवाबदेह बनाना है। लेकिन हाल के वर्षों में इसके दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं, खासकर शिक्षा और पंचायत विभागों में।
कई सरकारी कर्मचारी आरोप लगाते हैं कि कुछ लोग हेल्पलाइन का उपयोग अधिकारियों और कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए कर रहे हैं। झूठी शिकायतें दर्ज कर उन्हें डराया-धमकाया जाता है, जिससे वे तनाव में आ जाते हैं।
प्रशासन से न्याय की मांग
परिवार और शिक्षकों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही, सीएम हेल्पलाइन में सुधार किए जाने चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो और निर्दोष कर्मचारियों को परेशान न किया जाए।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में ठोस कदम उठाएगा या फिर यह घटना भी सिर्फ एक चर्चा बनकर रह जाएगी?