कंडो की होली जलायें पर्यावरण बचायेःअवधेश चौकसे

सालीचौका नरसिंहपुर, किसी भी त्योहार को मनाने की सार्थकता तभी है जब इसमें पवित्रता और श्रद्धा भाव सन्निहित हो। होली का त्योहार सन्निकट है इसको लेकर घरों और सार्वजनिक स्थलों पर तैयारियां चल रही हैं। दिनोंदिन बिगड़ रहे पर्यावरण के परिणाम कभी असमय कभी आंधी, तूफान तो कभी ओला और अतिवृष्टि के रूप में हमारे सामने आने लगे हैं।
ऐसे में हम सबका दायित्व बन जाता है कि त्योहार के अवसर पर पर्यावरण प्रदूषण को न बिगडऩे दें। यह तभी संभव है जब हम होलिका दहन सकल समाज के लाभ को ध्यान में रखकर करें। इसके लिए अधिक कुछ नहीं केवल संकल्प करना होगा कि हम स्वयं पर्यावरण का संरक्षण करेंगे और इसके लिए दूसरों को प्रेरित करेंगे। आम तौर पर घरों में गोबर की गुलरियां बनाकर होली जलाई जाती है, जबकि सार्वजनिक स्थलों पर पेड़-पौधों को काटकर रख दिया जाता है। इसेस हमारे आसपास पेड़-पौधे कम होते हैं और हम पर्यावरण बिगड़ाने में सहायक होते हैं। इस प्रवृत्ति पर विराम लगे इसके लिए बच्चों और युवाओं को संकल्प लेना होगा और इस बार लकड़ी की नहीं कंडों की होली जलाई जानी चाहिए।