सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का भव्य समापन

गाडरवारा, 12 मार्च 2025 – नगर के चांवड़ी स्थित बड़े सेठ के बाड़े में आयोजित श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का सात दिवसीय आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस धार्मिक अनुष्ठान का समापन श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य मुनि श्री आस्तिक सागर जी एवं मुनि श्री प्रणीत सागर जी महाराज की पावन उपस्थिति में हुआ।
हवन की पूर्ण आहुति और विशाल शोभायात्रा
समापन समारोह में प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रदीप जी शास्त्री द्वारा विधिवत हवन की पूर्ण आहुति दी गई। इसके पश्चात, युगल मुनि एवं प्रतिष्ठाचार्य के मार्गदर्शन में जैन समाज का भव्य जुलूस निकाला गया। शोभायात्रा में श्री जी को चांदी की पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया।
विशेष परिधानों में निकली जैन समाज की शोभायात्रा
इस दौरान महिलाएं केसरिया परिधान, पुरुष सफेद वस्त्र, और बालिकाएं नीले वस्त्र धारण किए हुए थीं। वहीं, शोभायात्रा में विधान के मुख्य पात्र सौधर्म इंद्र, कुबेर, श्रीपाल-मैना रानी, महायज्ञनायक, ईसान इंद्र, माहेंद्र इंद्र, यज्ञनायक आदि को बग्घियों में सवार किया गया।
नगर में निकला ऐतिहासिक जुलूस
शोभायात्रा चांवड़ी स्थित पंचायती जैन मंदिर से प्रारंभ होकर चौकी, झंडा चौक, श्याम टाकीज होते हुए पुनः कार्यक्रम स्थल पर पहुंची, जहां समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर जैन समाज के वात्सल्य भोज का आयोजन पप्पू भैया कैटर्स द्वारा किया गया।
मुनि श्री के प्रवचन में सिद्ध चक्र विधान का महत्व
प्रातःकालीन समापन बेला में मुनि श्री आस्तिक सागर जी एवं मुनि श्री प्रणीत सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में सिद्ध चक्र विधान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह विधान प्राचीन काल से प्रचलित है और हजारों वर्ष पहले मैना सुंदरी ने अपने पति राजा श्रीपाल को इस विधान के माध्यम से निरोगी किया था। तभी से अष्टानिका पर्व के दौरान यह विधान करना शास्त्रों में वर्णित है।
जैन समाज की विशेष भूमिका
इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने में जैन समाज के अध्यक्ष श्री जिनेश जैन एवं उनकी कमेटी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। समाज के सहयोग से इस धार्मिक आयोजन को भव्य रूप दिया गया।
इस पावन आयोजन में नगर के श्रद्धालु एवं जैन समाज के गणमान्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने विश्व शांति और समाज की समृद्धि की कामना की।