पीढ़ियों से संजोए रखें दिगंबर अखाड़े को अब शासन से सहयोग की अपेक्षा, अखाड़े को सनातन धर्म की विरासत मानते है

रिपोर्टर अवधेश चौकसे
सालीचौका नरसिंहपुर, पारंपरिक अखाड़ों में दिए गए अभ्यास प्राचीन संस्कृति और अनुशासन से पूर्ण होते हैं। सनातन धर्म में अखाड़े का विशेष महत्व होता है, अखाड़े को सनातन धर्म की विरासत माना जाता है। इसी तारतम्य में दिगंबर अखाड़ा, तेंदूखेड़ा सहित क्षेत्र में अपनी अद्भुत कला-कौशल के लिए प्रसिद्ध है। तेंदूखेड़ा क्षेत्र में दिगम्बर अखाड़ा पिछले कई सालों से कुश्ती और शस्त्र-कला को जीवित रखे हुए हैं। अखाड़े में सबसे अधिक युवा पहलवानों से लेकर बच्चे भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं परन्तु आवश्यक सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पाने से यह सिर्फ औपचारिकता साबित हो रही है। अखाड़े के संचालक अपने स्तर पर ही इन्हें चला रहे हैं जिससे यहां पहलवानी अभी भी जिंदा है। संसाधन की उचित व्यवस्था न होने के कारण अखाड़ों में पहलवानों की संख्या में कमी आती जा रही है। आधुनिकता के दौर में अखाड़ों की जगह जिम ने ले ली है। लोग अब अखाड़ों में पहलवानी और कुश्ती को अधिक महत्व न देकर जिम में जाकर घंटों पसीना बहाते हैं। यह कारण भी है कि देशभर में अखाड़ों के अस्तित्व पर संकट गहराने लगे हैं। इन तमाम संकटों से निपटने के लिए अखाड़े में पर्याप्त संसाधन हो तो अखाड़े सशक्त एवं मजबूत होंगे जिससे कि युवा इस ओर आकर्षित हो सकेंगे। दिगम्बर अखाड़े के पहलवानों ने बताया कि मिट्टी के अखाड़े में कुश्ती, दंगल या मल्लयुद्ध चाहे जिस नाम से पुकार लें यह प्रमुख खेल भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। शहरों से लुप्त होती इस कला को दिगंबर अखाड़ा जीवंत रखे हुए है। इसमें अनेक बच्चे और नौजवान अपने पुष्ट शरीर का निर्माण कर सके इस हेतु शासन से मांग कर रहे है कि दिगंबर अखाड़े को एक निश्चित जगह आवंटित कर उपयोग में आने वाले शस्त्र आदि समाग्री की पर्याप्त व्यवस्था प्राप्त हो सके इस हेतु शासन से सहयोग की अपेक्षा है, इससे आने वाली पीढ़ियां भी इन कला-कौशल से परिचित हो सके।
दिगम्बर अखाड़ा उस्ताद मोहन ठाकुर का कहना है कि यह दिगंबर अखाड़े को हम पीढ़ियों से संभाल कर रखे हैं, दिगंबर अखाड़े को आगामी पीढ़ियों तक पहुंचाने हेतु सरकार से सहयोग की अपेक्षा है। अखाड़े को संचालित करने हेतु आय का कोई साधन भी नहीं है। वर्तमान में यह अखाड़ा वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि उत्सव समिति द्वारा आयोजित होने वाले भगवान शिव की बारात में नगर में प्रदर्शन करता है।
शस्त्र चलाने का दे सकेंगे प्रशिक्षण-
प्रशिक्षु लाठी, बनेटी, तलवार, चकरी चलाने का अभ्यास भी सकेंगे। प्रतिदिन बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी अखाड़े में व्यायाम करने के लिए पहुंचे सकेंगे।
खेल विभाग से सीधे तौर से नहीं जुड़ पा रहे अखाड़े-
अखाड़े के संचालक अपने स्तर पर ही इन्हें संचालित कर रहे हैं जिससे अखाड़े सीधे तौर पर विभाग से जुड़े नहीं होते। सरकार इन क्षेत्रिय अखाड़ों को विभाग से जोड़ने हेतु मुहीम चलाए जिससे की इस प्रकार के क्षेत्रीय अखाड़ो का रजिस्ट्रेशन एवं लाइसेंस तैयार हो सके और शासन की योजनाएं, सुविधाओं का आसानी से लाभ मिल सके। अखाड़े को सनातन धर्म की विरासत माना जाता है।