गाडरवारामध्य प्रदेशराज्य

महाशिवरात्रि पर साईं श्रद्धा सेवा समिति की ऐतिहासिक पहल: शिव को अर्पित पूजन सामग्री से बनेगी कॉम्पोस्ट खाद

गाडरवारा। सुप्रसिद्ध शिवधाम डमरूघाटी में महाशिवरात्रि पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई गई पूजन सामग्री को पर्यावरण हितैषी तरीके से उपयोग में लाने के लिए साईं श्रद्धा सेवा समिति ने एक ऐतिहासिक पहल की। समिति ने इस वर्ष भी पूजन सामग्री जैसे बेलपत्र, फूल, धतूरा और दूर्वा को इकट्ठा कर कॉम्पोस्ट खाद तैयार करने हेतु नगर पालिका प्रशासन को सौंपा।

स्वच्छता अभियान के तहत पांच क्विंटल पूजन सामग्री एकत्रित

समिति के संस्थापक आशीष राय के नेतृत्व में सदस्यों ने सात घंटे की सेवा में करीब पांच क्विंटल हरित सामग्री एकत्रित की, जिसे श्मशान घाट स्थित प्लांट में खाद के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। यह खाद शहर के धार्मिक स्थलों और मंदिरों में लगे पेड़-पौधों की वृद्धि में सहायक होगी। समिति की इस पहल को नगर पालिका सीएमओ वैभव देशमुख और डमरूघाटी समिति ने भी सराहा।

डमरूघाटी मंदिर बना अन्य धार्मिक स्थलों के लिए प्रेरणा

समिति की इस पहल को पूर्व अनुविभागीय राजस्व अधिकारी आईपीएस सृष्टि देशमुख के कार्यकाल में आयोजित बैठक में प्रस्तावित किया गया था। तब से साईं श्रद्धा सेवा समिति लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है। डमरूघाटी समिति अध्यक्ष हंसराज मालपानी, जिनेश जैन और चंद्रकांत शर्मा सहित अन्य सदस्यों ने इस पहल की सराहना की और इसे देशभर के धार्मिक स्थलों के लिए प्रेरणादायक बताया।

14 वर्षों से स्वच्छता अभियान चला रही है समिति

महाशिवरात्रि के दौरान डमरूघाटी मेले में साईं श्रद्धा सेवा समिति पिछले 14 वर्षों से स्वच्छता अभियान चला रही है। इस वर्ष भी समिति ने नंदी प्रांगण में कचरा पृथक्करण, अगरबत्ती पैकेट, नारियल बूछों जैसे कचरे को साफ करने, और स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाने का कार्य किया।

समिति के सदस्यों का अमूल्य योगदान

इस अभियान में समिति के संस्थापक आशीष राय सहित बबलू दवाईवाला, अमित श्रीवास, देवेन्द्र कुर्मी, धनराज यादव, नितेश कुर्मी, अमित कोरी, राहुल रजक, आर्यन नौरिया, नमन तिवारी, राजा अहिरवार, कृष्णा नौरिया, सूर्या चौहान, सचिन रजक, यश कुर्मी, कोमल वर्मा आदि सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह पहल धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिससे अन्य धार्मिक स्थलों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

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