उत्तम क्षमा: पर्युषण पर्व के दौरान अरहम् ध्यान योग का आयोजन
अरहम् ध्यान योग का आयोजन
उत्तम क्षमा: पर्युषण पर्व के दौरान अरहम् ध्यान योग का आयोजन
पर्युषण पर्व जैन समाज का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो क्षमा और आत्मा की सफाई का प्रतीक है। इस अवसर पर अरहम् ध्यान योग का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों ने भाग लिया। उत्तम क्षमा के पहले दिन आयोजित इस कार्यक्रम में ध्यान के कई चरणों पर ध्यान केंद्रित किया गया। कार्यक्रम में टीचर श्रीमती नम्रता बस और श्रीमती रुचि जैन ने ध्यान लगाने की सही विधि सिखाने के साथ-साथ इसके लाभों के बारे में चर्चा की। पर्युषण पर्व का यह आयोजन समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
पर्युषण पर्व का महत्व
गाडरवारा । जैन समाज के महा पर्व पर्युषण पर्व मनाने का एक विशेष महत्व है। यह पर्व क्षमा और आत्मा की सफाई का पर्व है। इस अवसर पर समाज के सभी वर्ग के लोग एकत्रित होते हैं और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। उत्तम क्षमा, जो कि इस पर्व का पहला दिन है, जैनों के लिए विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है।
अरहम् ध्यान योग का आयोजन
इस पर्वराज पर्युषण के पहले दिन उत्तम क्षमा के उपलक्ष्य में अरहम् ध्यान योग का आयोजन वीर विद्या निलय में किया गया। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और 108 श्री मुनि श्री प्रणम्य सागर जी के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। ध्यान योग के पांच चरणों का विशेष रूप से ध्यान रखा गया, जिसमें A R H A M एक्टिवेशन, रिलैक्सेशन, हीलिंग, अवेरनेस और मोटिवेशन शामिल थे।
समाज का सहयोग
इस कार्यक्रम में समाज के सभी वर्ग के लोगों ने उत्साह से भाग लिया। टीचर श्रीमती नम्रता बसा और श्रीमती रुचि जैन ने प्रतिभागियों को अरहम् ध्यान योग के लाभों के बारे में बताया और उन्हें सही तरीके से ध्यान लगाने की विधि सिखाई। इस प्रकार के आयोजन समाज में एकता एवं सहयोग की भावना को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। पर्युषण पर्व के दौरान ऐसे अनुदान जनित कार्यक्रमों का आयोजन सभी के लिए लाभकारी साबित होता है।